नई दिल्ली/नवप्रदेश। महाराष्ट्र (maharashtra) की भाजपा सरकार (bjp government) के भविष्य (future) पर कल (tomorrow) बड़ा फैसला (big decision) होगा। एनसीपी, शिवसेना व कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह राज्यपाल के अधिकार में नहीं पड़ेगा।
हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि दोनों पक्ष तैयार है तो फिर फ्लोर टेस्ट में देरी क्यों होनी चाहिए हालांकि सुनवाई कर रही तीन जजों की बैंच ने कहा कि हमें इस मामले के हर पहलू पर विचार करना होगा। इसलिए कल 10:30 बजे सुनाया जाएगा।
ये है मामला
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया है। शुक्रवार देर रात से महाराष्ट्र की राजनीत का घटनाक्रम बदल गया। भाजपा की ओर से एनसीपी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्यपाल कोश्यारी ने रविवार सुबह 5 बजे राष्ट्रपति शासन हटा दिया था।
तीखी बहस के बाद कल फैसले का निर्णय
सुबह 8 बजे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री व अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। सरकार गठन की इस प्रक्रिया को शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान भाजपा , एनसीपी, कांग्रेस व शिवसेना के वकीलों के बीच जमकर तीखी बहस हुई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंगलवार 10:30 बजे फैसला सुनाया जाएगा। यानी महाराष्ट्र (maharashtra) की भाजपा सरकार (bjp government) के भविष्य (future) को लेकर कल (tomorrow) बड़ा फैसला (big decision) आएगा।
सुप्रीम कोर्ट लाइव
- शीर्ष अदालत – बहुमत है तो क्या आज फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के वकील मुकुल रोहगी से कहा कि यदि आपके पास बहुमत है तो उसे सिद्ध क्यों नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या आप आज फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि ऐसे मामलों में 24 से 48 घंटे का समय दिया जाता है।
- भाजपा: राेहतगी बोले- कोर्ट तारीखों के फेर में न जाएं
इस पर रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने जो 30 नवबंर की तारीख दी उसी दिन फ्लोर टेस्ट कराया जाए। कोर्ट तारीखों के फेर में न जाए। विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप न करें। रोहतगी ने कहा कि सिर्फ 5 दिन का समय बचा है तो फिर इतनी जल्दी क्यों।
इससे पहले रोहतगी ने बताया कि राज्यपाल को अजित पवार की ओर से दिया गया पत्र वैध था। इसमें एनसीपी के 54 विधायकों के सरकार को समर्थन संबंधी हस्ताक्षर हैं। राज्यपाल का काम पत्र की जांच पड़ताल करना नहीं है। वैसे भी अजित पवार महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक दल के नेता हैं तो उनकी ओर से दिया गया पत्र ही अधिकृत हैं।
- उपमुख्यमंत्री पवार : वकील का दावा- एनसीपी यानी अजित
उपमुख्यमंत्री अजित पवार के वकील ने भी यही तर्क दिया। उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी यानी अजित पवार इसी बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कोर्ट को 170 विधायकों के समर्थन का पत्र भी सौंपा है। इसमें भाजपा के 105, एनसीपी के 54 व 11 अन्य निर्दलीय है।
गठबंधन के तीनों दलों को लगी फटकार
- शिवसेना : सिब्बल की मांग- 24 घंटे में हो फ्लोर टेस्ट
कपिल सिब्बल शिवसेना के वकील ने कहा कि 22 नवंबर को शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी ने संयुक्त प्रेस कॉनफ्रेंस की तीनों दल एकसाथ है। सिब्बल ने सवाल किया कि सुबह 5 बजे राष्ट्रपति शासन क्यों हटाया गया, सुबह 8 बजे शपथ क्यों दिलाई गई। राज्यपाल को 24 घंटे तक इंतजार करना चाहिए था। ऐसा क्या राजकीय संकट आ गया था। कैबिनेट की बैठक क्यों नहीं ली गई। शपथ ग्रहण प्रक्रिया का खुलासा होना चाहिए। 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट की मांग की है।
- कांग्रेस: – सिंघवी ने कहा- आज फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दीजिए वापस लेते हैं याचिका
एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट के लिए पांच दिन क्यों चाहिए। यह 24 घंटे में हो जाना चाहिए। जो पत्र अजित पवार ने दिया है उसमें सिर्फ विधायकों के हस्ताक्षर हैं लेकिन वे एनसीपी के साथ नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोकते हुए कहा कि अब बाकी का कुछ मत बताइए, फ्लोर टेस्ट पर बात करें। इस पर सिंघवी ने कहा कि आज ही फ्लोर टेस्ट करावाइए हम अपनी याचिका वापस लेते हैं।
- कोर्ट- हमें मत बताइए क्या आदेश देना है, वकीलों पर एक मत नहीं तीनों दल
उन्होंने कहा कि सदन के वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कीजिए और फ्लोर टेस्ट कराइए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि हमें क्या आदेश देना है हमें मत बताइए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आप तीनों दल एक हैं और गठबंधन में हैं तो आपने तीन-तीन वकील क्यों खड़े किए। आप वकीलों पर भी एकमत नहीं है।