मुंबई/नवप्रदेश। Maharashtra : महाराष्ट्र में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनी, लेकिन राजनीति अभी भी चरम पर है। इस समय यहां से जो बड़ी खबर आ रही है वह महाराष्ट्र विधानसभा के इतिहास में पहली बार हो रही है। दरअसल, आदित्य ठाकरे को छोड़कर शिवसेना के 53 विधायकों को नोटिस भेजा गया है। जिन विधायकों को नोटिस भेजा गया है उनमें एकनाथ शिंदे गुट के 39 और ठाकरे खेमे के 14 एमएलए शामिल हैं।
आपको बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दोनों (Maharashtra) खेमे द्वारा दी गई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। दोनों ही खेमे ने तीन और चार जुलाई को पहले स्पीकर के चुनाव और फिर फ्लोर टेस्ट के दौरान व्हीप के उल्लंघन का आरोप लगाते हुआ सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
आदित्य ठाकरे को नोटिस नहीं भेजने के ये कारण
आदित्य ठाकरे को नोटिस नहीं भेजने के पीछ जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि शिंदे कैंप ने मातोश्री के प्रति सम्मान का दावा करते हुए आदित्य ठाकरे के खिलाफ के कार्रवाई नहीं करने का निर्णय किया था।
53 विधायकों से सप्ताह भर में मांगा जवाब
राज्य विधायिका के प्रमुख सचिव राजेंद्र भागवत ने महाराष्ट्र विधान सभा के इन 53 विधायकों को दलबदल के आधार पर अयोग्यता नियम के तहत नोटिस जारी किया। विधायकों को सात दिन में जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
4 जुलाई को एकनाथ शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावाले ने विश्वास मत के लिए शिवसेना के सभी विधायकों को एक लाइन का व्हिप जारी कर प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया था। वहीं, जबकि दूसरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने भी शिवसेना के सभी विधायकों को सरकार के पक्ष में मतदान नहीं करने का निर्देश दिया था।
कुल 40 शिवसेना विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया उस दिन एक विधायक विद्रोही खेमे में जुड़ गया। 15 ने इसके खिलाफ मतदान किया। उसी दिन गोगावले ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करने वाले 14 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता सहित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए। प्रभु ने भी एक याचिका दायर करते हुए कहा कि जिन शिवसेना विधायकों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट नहीं दिया उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने उनमें से 39 का नाम लिया।
विशेष सत्र के पहले दिन 3 जुलाई को 39 बागी विधायकों ने स्पीकर पद के लिए भाजपा उम्मीदवार राहुल नार्वेकर के पक्ष में मतदान किया था। जबकि शिवसेना के 15 विधायकों ने उनके खिलाफ मतदान किया था। उस दिन भी गोगावाले ने 14 शिवसेना विधायकों के खिलाफ स्पीकर को याचिका दायर की थी।
भागवत की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक सभी 53 विधायकों को सात दिनों के भीतर अपने बयान संबंधित दस्तावेजों के साथ स्पीकर के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया गया है।
सोमवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
शिवसेना (Maharashtra) में विद्रोह शुरू होने और शिंदे के खेमे के सूरत के लिए रवाना होने के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे ने शिंदे के स्थान पर अजय चौधरी को शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त किया था। उन्होंने सुनील प्रभु को पार्टी का मुख्य सचेतक भी नियुक्त किया। इसके बाद शिंदे ने स्पीकर का रुख किया और उन्हें फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया और भरत गोगावाले को मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया। इस बीच प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा उठाए गए सभी प्रमुख मुद्दों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।