जांच कर रही एसआईटी का खुलासा
भोपाल/नवप्रदेश। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के हाई प्रोफाइल (high profile) हनी ट्रैप (honey trap) कांड की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन (shweta vijay jain) राज्य (state) की टॉप (top) लाबीस्ट (lobbyist) बनना चाहती थी। यह खुलासा मामले की जांच कर रही एसआईटी (sit) ने किया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, श्वेता (shweta vijay jain) राजनीति में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहती थी, लेकिन इसमें विफल होने के बाद उसने प्रदेश के नेता-अफसरों जैसी बड़ी शख्सयितों को निशाना बनाने के लिए अपना गिरोह (racket) बनाया। जिसके तहत उसने श्वेता स्वपनिल जैन, आरती दयाल व बरखा भटनागर को नियुक्त किया।
इसके पीछे उसका एक ही मकसद था- प्रदेश की बड़ी शख्सियतों से संपर्क करने के लिए सबसे ताकतवर सूूत्र के रूप में उभरना। श्वेता (shweta vijay jain) ने अपना गृह शहर सागर छोड़ा और भोपाल आई , जहां उसके निशाने पर अरेरा क्लब था। यहां उसने ताकतवर लोगों को फंसाने के लिए गिरोह सक्रिय कर दिया, खासकर नौकरशाहों को। एसआईटी (sit) के मुताबिक आरोपी महिलाएं पहले अफसरों को अपने जाल में फंसाती थीं और फिर उनसे शारीरिक संबंध बनाती थीं। इन सब अश्लील कृत्यों को वह शूट कर लेती थीं ताकि अफसरों को बाद में ब्लैकमेल किया जा सके।
क्लाइंट्स को दिला देते थे बड़े-बड़े टेंडर
सूत्रों के मुताबिक, इस काम में उन्हें सफलता भी मिली, क्योंकि नौकरशाहों, व इंजीनियरों की ओर से उन्हें करोड़ों रुपए, प्रापर्टी लग्जरी कार आदि मिले। लगातार मिल रही सफलताओं से गदगद श्वेता (shweta vijay jain) व उसकी गैंग ने कॉर्पोरेट, कंस्ट्रक्शन कंपनी व अधिकारियों के बीच संपर्क सूत्र बनने का काम किया। सूत्रों ने आगे कहा कि अपने नौकरशाही में अपने संपर्कों के बूते उन्होंने अपने क्लाइंट्स को कई बड़े टेंडर भी दिलाए।
कई विभागों से मनमाफिक टेंडर हासिल कर लेती थी श्वेता
यहीं नहीं श्वेता (shweta vijay jain) अपने लिंक के जरिए गवर्मेंट टेंडर भी हासिल कर लेती थी। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार के कई बड़े अधिकारी श्वेता की जाल में थे। इन अफसरों के जरिए वह जनसंपर्क, शहरी प्रशासन, कृषि, वन, संस्कृति, जलसंसाधन व श्रम विभाग के मनमाफिक टेंडर हासिल किया करती थी। और इस तरह उसने करोड़ों की संपत्ति बना ली।
सरकार केे खजाने को हुआ नुकसान, नहीं बख्शेंगे दोषियों को : पटवारी
प्रदेश के मंत्री जीतू पटवारी ने इसे जबर्दस्ती वसूली बताते हुए गंभीर मामला करार दिया है। सरकार इसमें लिप्त लोगों केे खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई अधिकारी ऐसी गतिविधि में लिप्त है और अपराध किया है तो इससे राज्य के खजाने को नुकसान पहुंचा है और सरकार को टेंडरिंंग प्रक्रिया में नुकसान हुआ है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।