सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरक्षित वर्ग की 92 टॉपर्स को मिली अनारक्षित (महिला) सीटों में नियुक्ति
भोपाल/नवप्रदेश। मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government) के एमपीपीएससी (MPPSC) की सहायक प्राध्यापक भर्ती (Recruitment Of Assistant Professors) प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग (Reserved Category) की एक और जीत हुई है। सर्वाेच्च न्यायालय (Supreme Court) के मौखिक निर्देश पर आरक्षित वर्ग की 92 टॉपर्स महिलाओं (92 Toppers Women) को अनारिक्षत (महिला) सीटों में नियुक्ति (Appointed) मिल गई।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन (Madhya Pradesh Government) के एमपीपीएससी के असिस्टेंट प्रोफेसर्स भर्ती (Recruitment of Assistant Professors) मामले में 92 सामान्य जातियों की कम प्राप्तांक वाली बेरोजगार महिलाओं द्वारा उनसे अधिक प्राप्तांक वालीं 92 आरक्षित वर्ग (जिसमें 71 ओबीसी व 21 अजा-जजा) की महिलाओं (92 Toppers Women) के मेरिट (प्राप्तांकों) के आधार पर हुए अनारक्षित (महिला) सीटों में चयन को चुनौती दी गई थी।
जिसके तारतम्य में जबलपुर हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 के अपने एक अंतिरम आदेश में ये 92 पद रिक्त रखने का कहा था। जिससे उक्त 92 टॉपर आरक्षित महिलाओं को मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नौकरी ज्वाइन नहीं कराई गई थी।
जिसके बाद से ही नवप्रदेश इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित करते आ रहा है। यह एक अजीबो-गरीब मामला था, क्योंकि इनमें से अधिकतर के मेरिट अंक तो चयनित सामान्य उम्मीदवारों से भी अधिक थे। और मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा चयनित कुल 2700 सहायक प्राध्यापकों में से केवल आरक्षित वर्ग की इन 92 टॉपर महिला प्राध्यापिकाओं की ही ज्वाइनिंग नहीं हो पाई थी।
नियुक्ति व पदस्थापना आदेश जारी
वहीं नीचे की आरक्षित सीटों में चयनित महिलाओं में से 33 के द्वारा हाईकोर्ट के सामान्य महिलाओं के पक्ष में आये निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से स्टे लाने के दौरान उसी केस में सुप्रीम कोर्ट के मौखिक निर्देश पर अन्ततः गुरुवार को उक्त सभी 92 आरक्षित वर्ग की टॉपर महिलाओं की ज्वाइनिंग हेतु उनके भी नियुक्ति व पदस्थापना आदेश जारी हो गए, जो विषयवार मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
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27 को अंतिम जीत का इंतजार
अब आरक्षित वर्ग को आरक्षण नीति बचाने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे SLP 7811 / 2020 केस जिसकी आगामी सुनवाई 27 जुलाई को है, में अंतिम जीत का इंतजार है। जिससे जबलपुर हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ मेरिट (प्राप्तांकों) के आधार पर अनारक्षित (महिला) सीटों में चयनित 92 आरक्षित वर्ग की महिलाओं का चयन अनारक्षित सीटों में ही यथावत रखा जा सके। अनारक्षित (महिला) सीटों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कराई गई इस ज्वाइनिंग से आरक्षित वर्ग की याचिका कर्ताओं को अब उनका पक्ष और मजबूत दिखने लगा है। इस नियुक्ति पर पर उम्मीदवारों के साथ साथ सभी संघर्ष-कर्ता आरक्षित वर्गों के संगठनों में भी प्रसन्नता है।
सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल के कोशले की भी रही भूमिका
उल्लेखनीय है कि इन 92 टॉपर महिलाओं को शीघ्र नियुक्त कर ज्वाइनिंग दिलवाने अखिल भारतीय अनुसूचित जाति जन जाति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संगठन भोपाल लगातार मध्यप्रदेश शासन पर दबाव बना रहा था। इन्हें ज्वाइन नहीं कराने पर उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी. एपी पटेल भोपाल ने आमरण अनशन की धमकी भी दी थी।
वहीं ओबीसी महासभा ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित कुमार ओबीसी, भोपाल के नेतृत्व में एक सतत, व्यापक आंदोलन चला रखा था। ऑल इंडिया सोशल जस्टिस एंड लीगल सेल रायपुर के संयोजक विनोद कुमार कोशले ने भी मेरिट में आये आरक्षित असिस्टेंट प्रोफेसरों को अनारक्षित सीटों में नियुक्ति हेतु एक वृहद अभियान चला रखा है।