-लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नहीं बनी सहमति
-के सुरेश ने इंडिया अलायंस से अपना नामांकन पत्र दाखिल
नई दिल्ली। Lok Sabha Speaker Election: लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच अच्छी खासी खींचतान चल रही है। एनडीए ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिड़ला को उम्मीदवार बनाया है। एनडीए के सहयोगी दलों ने ओम बिड़ला के नाम का समर्थन किया है। इस बीच केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष से ओम बिरला का समर्थन करने का अनुरोध किया।
विपक्ष ने परंपरा के मुताबिक एनडीए से उपराष्ट्रपति पद की मांग की थी। लेकिन उस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर अब भारत अघाड़ी ने लोकसभा अध्यक्ष पद (Lok Sabha Speaker Election) के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। इसलिए लोकसभा के इतिहास में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।
लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। एनडीए की ओर से ओम बिड़ला ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। वहीं भारत अघाड़ी से के. सुरेश को मनोनीत किया गया है। विपक्ष की मांगों पर सत्ता पक्ष की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आने पर के. सुरेश ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपनी उम्मीदवारी दाखिल की है।
उपसभापति पद के लिए शर्त पूरी नहीं होने के कारण भारत अघाड़ी ने उम्मीदवार खड़ा किया है। इसलिए भारतीय लोकतंत्र के 72 साल के इतिहास में पहली बार स्पीकर पद (Lok Sabha Speaker Election) के लिए चुनाव होगा। हालांकि संख्या बल को देखते हुए संभावना है कि स्पीकर पद का चुनाव एनडीए उम्मीदवार ही जीतेगा।
लोकसभा के नतीजों के बाद राष्ट्रपति पद के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई है। इसलिए भारत के इतिहास में पहली बार लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। इंडिया अलायंस कांग्रेस सांसद के. सुरेश को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। इसके बाद उन्होंने तुरंत अपनी उम्मीदवारी दाखिल कर दी।
इस बीच राहुल गांधी ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। विपक्ष ने स्पीकर पद के लिए सरकार का समर्थन करने का फैसला किया। लेकिन राहुल गांधी ने कहा था कि हमारा मुद्दा परंपरा के मुताबिक विपक्ष को उपसभापति का पद देने का था। उधर राहुल गांधी की इस शर्त पर पीयूष गोयल ने जवाब दिया है। गोयल ने कहा हम सशर्त समर्थन को अस्वीकार करते हैं। विपक्ष सशर्त समर्थन की बात कर रहा है। लोकसभा की परंपरा में ऐसा कभी नहीं हुआ। लोकसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष किसी पार्टी का नहीं बल्कि पूरे सदन का होता है।