-लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और आरक्षण (संशोधन) विधेयक पर बहस जारी
नई दिल्ली। amit saha loksabha: लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन और आरक्षण (संशोधन) विधेयक पर बहस हो रही है। इस बार गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधा। मैं जो बिल लाया हूं वह उन लोगों के लिए न्याय और अधिकारों से संबंधित है जिनके साथ अन्याय हुआ है। भारतीय संविधान की मूल भावना है कि किसी भी समाज के वंचितों को आगे लाना चाहिए। गृह मंत्री ने बताया कि 70 वर्षों से उपेक्षित और अपमानित लोगों को न्याय देने के लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्निर्माण संशोधन विधेयक लाया गया है।
अमित शाह ने आगे कहा कि देशभर के करीब 46,631 परिवार और 1,57,967 लोग जम्मू-कश्मीर से पलायन करने को मजबूर थे, उन्हें न्याय देने के लिए सरकार यह बिल लेकर आई है। अगर कांग्रेस शुरू से ही वोटबैंक का ख्याल किए बिना आतंकवाद से निपटती तो कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़कर विस्थापित नहीं होना पड़ता।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए जिम्मेदार लोग इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे हैं। यह बिल उन लोगों को आगे बढ़ाने का बिल है जिनके साथ पिछले 70 वर्षों में अन्याय हुआ है। यह बिल हमारे ही देश में विस्थापित लोगों को सम्मान और नेतृत्व देने के लिए है। मुझे ख़ुशी है कि किसी ने भी इस बिल का विरोध नहीं किया। जो लोग सवाल कर रहे हैं कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से क्या होगा, मैं कहना चाहूंगा कि कश्मीरी पंडितों को आरक्षण देने से उनकी आवाज कश्मीर विधानसभा में सुनी जाएगी और दोबारा विस्थापन की स्थिति पैदा नहीं होगी।
बिना नाम लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों को भाषण लिखकर दे दिया जाता है और वे छह महीने तक वही भाषण बार-बार पढ़ते हैं। वे इतिहास नहीं देखते। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 साल से संवैधानिक मान्यता नहीं, नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी।
इतना ही नहीं मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण भी दिया। अंकल कालेलकर की रिपोर्ट रोक ली गई। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की गई और जब इसे लागू किया गया तो राजीव गांधी ने इसका विरोध किया था। इस दौरान अमित शाह ने इस बात की भी आलोचना की कि पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा विरोध कांग्रेस पार्टी से है।