Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव के लिए महामंथन शुरू |

Lok Sabha Elections : लोकसभा चुनाव के लिए महामंथन शुरू

Lok Sabha Elections: And now the buzz of the fourth front

Lok Sabha Elections

किशन भावनानी। Lok Sabha Elections : वैश्विक स्तरपर सबसे बड़े प्रसिद्ध लोकतंत्र भारत में हमें करीब-करीब हर वर्ष लोकतंत्र का महापर्व मनाने का अवसर प्राप्त हो ही जाता है, क्योंकि 140 करोड़ के इस विशाल जनसंख्यकियतंत्र में 28 राज्यों और आम लोकसभा चुनाव को उत्सवपर्व के रूप में बड़ी शिद्दत के साथ मनाया जाता है और लोकतंत्र रूपी यज्ञ में वोट रुपी आहुति हर भारतीय नागरिक का अधिकार होता है, परंतु दुख और हैरानी की बात है कि कई स्थानों राज्यों में 50 फीसदी केआसपास तो कई राज्यों में 75 फीसदी के आसपास मतदान होता है। जबकि मेरा मानना है कि सरकारों को ऐसा जनजागरण अभियान या सभी स्कीमों के हितधारकों पर मतदान अनिवार्य शर्तों के रूप में ज़रूर लागू कर मतदान करने वालों को प्रमाणपत्र जारी करना चाहिए जो हर संबंधितसर्टिफिकेट के लिए यह प्रमाणपत्र आवश्यक शर्त हो।

चूंकि भारत में 2023 में 9 राज्यों और 2024 में आम लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और एक फरवरी 2023 को केंद्रीय आम बजट भी आ रहा है इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के आधार पर, इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, हर राजनीतिक दलों द्वारा जीत का सेहरा बांधने मिशन 2023 और 2024 पररणनीतिक रोडमैप बनानें पर महामंथन शुरू हो गया है।

साथियों बात अगर हम अनेक दलों द्वारा अपने दूरगामी रणनीतियों पर कार्य और महामंथन की करें तो सबसे पुरानी प्रमुख विपक्षी पार्टी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन,अभी-अभी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त पार्टी का पानी बिजली शिक्षा छूट अभियान, सत्ताधारी पार्टी द्वारा अभी 16-17 जनवरी 2023 को महामंथन कार्यकारिणी की राष्ट्रीय बैठक, यूपी पर राज कर चुकी महिला नेता का एकला चलो का 15 जऩवरी 2023 का बयान सहित अनेकों पार्टियों का जोड़ तोड़ गणित, विपक्षी एकता का फंडा, विपक्ष में पीएम बनाने के चेहरे सबका सबको जोड़ो अभियान सहित अनेको महामंत्रों पर जोर जुगाड़ गणित शुरू है। हालांकि जनता के बहुत बड़े हिस्से की नजर इस पर नहीं है क्योंकि वह अपनी रोजी-रोटी में मस्त हैं परंतु अनेक हितधारकों की पूरी पूरी नजर लगी हुई है कि किस पार्टी के आने से उनका फायदा होगा।

साथियों बात अगर हम सत्ताधारी पार्टी के 16-17 जनवरी 2023 की कार्यकारिणी बैठक महामंथन की करें तो, बैठक इस साल होने वाले 9 राज्यों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय करेगी। पीएम का संबोधन चुनाव का रोडमैप सेट कर देगा। चुनाव में पार्टी किन मुद्दों के साथ आगे बढऩे वाली है, कुछ हद तक पीएम के भाषण में उसकी झलक मिल जाएगी, इसके अलावा कार्यकारिणी की बैठक में बीजेपी अध्यक्ष के एक्सटेंशन पर औपचारिक रूप से मुहर लग जायेगी। दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर में बैठक शाम 4 बजे शुरू होगी, जिसका शुभारंभ पीएम और पार्टी अध्यक्ष ने किया। लेकिन, उससे पहले सुबह 10 बजे से भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक का आयोजन किया गया, लेकिन उससे ठीक पहले 3 बजे से पीएम का दिल्ली के पटेल चौक से रोड शो शुरू हुआ जो कांवेशन सेन्टर पर समाप्त हुआ।

इस दौरान दिल्ली के हजारों लोग सड़क पर पीएम का अभिनंदन किए। दरअसल, गुजरात जीत के बाद ये पहली कार्यकरिणी है। बैठक का 8 सूत्री एजेंडा,चुनावी राज्यसंगठनात्मक विषय, समसामयिक ज्वलंत मुद्दों पर मंथनअब तक की प्रमुख गतिविधियों और कार्यक्रमों की चर्चा पिछली कार्यवाही की पुष्टि, प्रस्तावों पर चर्चा,आगामी कार्र्यक्रम अध्यक्ष की अनुमति से अन्य कार्र्यक्रम इससे प्रतीत होता है क्या 2023 के 9 राज्य और 2024 के आम चुनाव पर फोकस रहेगा।

साथियों बात अगर हम प्रमुख विपक्षी पार्टी की रणनीति की करें तो, नए फेज की भारत जोड़ो यात्रा काफी अहम भी है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये यात्रा पहुंच रही है उत्तर प्रदेश. वो उत्तर प्रदेश जहां से दिल्ली की गद्दी का रास्ता निकलता है। सितंबर में कन्याकुमारी से इस यात्रा की शुरुआत कांग्रेस के एक कार्र्यक्रम के तौर पर हुई थी, लेकिन उत्तर भारत में प्रवेश के साथ ही प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल इसे व्यापक विपक्ष का रंग देने की एक कोशिश मानने लगे हैं।

देश को जोडऩे के इरादे के साथ 7 सितंबर को शुरू हुई यात्रा के दौरान कन्याकुमारी में कश्मीर तक की दूरी कवर की जानी है और इसके अपने मुकाम पर पहुंचने से पहले से जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के इसमें शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है। इसका मतलब है कि जैसे ही यह यात्रा अपने अंतिम गंतव्य श्रीनगर के करीब पहुंचेगी, जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके तीन नेता इसमें शामिल हो जाएंगे। युवा नेता पूर्व अध्यक्ष की भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर भारत- जहां कई राज्यों में पार्टी का प्रभाव लगातार घट रहा है, में प्रवेश करने के साथ ही 3,500 किलोमीटर की इस अखिल भारतीय यात्रा में एक चारित्रिक बदलाव नजर आने लगा है जो न कहीं ना कहीं 2023 में 9 राज्यों और लोकसभा चुनाव 2024 पर प्रभाव के महमंथन के संकेत हैं।

साथियों बात अगर हम 8 दिसंबर 2023 के बाद राष्ट्रीय पार्टी बनी नई पार्टी की करें तो, पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग हुई थी, इस बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था कि राष्ट्रीय स्तरपर पार्टी संगठन को मजबूत किया जाएगा। देश के सभी राज्यों में संगठन की जिम्मेदारी नामित नेता संभालेंगे, उन राज्यों पर खास तौर पर ध्यान रहेगा जहां पर चुनाव होने हैं। अगले छह महीने में देश के सभी हिस्सों में संगठन निर्माण पर फोकस रहेगा। जो कहीं ना कहीं 23-24 में होने वाले चुनाव की ओर इशारा करते हैं।

राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कई अहम प्रस्ताव पास किए गए हैं। पार्टी नेता 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों में अगले साल होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की रणनीति बना रहे हैं। अत: अगर हम उपरोक्त पूरे पर्यावरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि महामंथन, सभी राजनीतिक दलों में 9 राज्यों के चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के लिए महामंथन का दौर शुरू है। हर राजनीतिक दलों द्वारा जीत का सेहरा बांधने मिशन 2023 और 2024 पर रणनीतिक रोड मैप बनानें पर महामंथन शुरू है।

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