रायपुर/नवप्रदेश। लॉकडाउन (lockdown) के दौरान जहां एक ओर देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं वहीं छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) में घरेलू हिंसा (domestic violence) की शिकायतें बढ़ी हैंं। वहीं छत्तीसगढ़ में स्थिति अलग है। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (cg rajya mahila ayog) में पहले की तुलना मेंं कम शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो इससे निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि लॉकडाउन (lockdown) में प्रदेश में घरेलू हिंसा (domestic violence) के मामलों अन्य राज्यों की तुलना में कमी ही आ गई है। क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग(cg rajya mahila ayog) में अधिकतर आवेदन डाक से प्राप्त होते हैं। आयोग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन काफी कम प्राप्त होते हैं। लॉकडाउन में परिवहन व्यवस्था बंद होने की वजह से हो सकता है कम आवेदन प्राप्त हुए हैं।
सामान्य दिनों में मिलते थे 70-80 आवेदन
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के सहायक संचालक अभय कुमार देवांगन ने नवप्रदेश को बताया कि सामान्य दिनों में आयोग को हर दिन ऑनलाइन व डॉक के मिलाकर 70-80 शिकायती आवेदन प्राप्त होते थे। इनमें आधे से ज्यादा दहेज व घरेलू हिंसा के होते थे। इनमें से परीक्षण के बाद 40-50 शिकायतोंं पर प्रकरण दर्ज कर संबंधित थानों व जिले के संरक्षण अधिकारियों को कार्रवाई के लिए कहा जाता था। लेकिन अब स्थिति ये है कि आयोग को प्राप्त होने वाले आवेदन की संख्या करीब आधी हो गई है। इसके पीछे के कारण लॉकडाउन (lockdown) डाक से आवेदन नहीं पहुंच पाना हो सकता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग कर चुका है ये दावा
पूरे देश की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान देशभर में घरेलू हिंसा के मामले 95 फीसदी तक बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग देशव्यापी बंद से पहले और बाद के 25 दिनों में विभिन्न शहरों से मिली शिकायतों के आधार पर यह दावा किया है। आयोग की मानें तो महिलाओं से घरेलू हिंसा के मामले लगभग दोगुने बढ़ गए हैं। आयोग ने इस साल 27 फरवरी से 22 मार्च के बीच और लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च से 16 अप्रैल के बीच मिली शिकायतों की तुलना के बाद के आंकड़ों के आधार पर उक्त दावा किया है। इसके मुताबिक, बंद से पहले आयोग को घरेलू हिंसा की 123 शिकायतें मिली थीं जबकि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन व अन्य माध्यम से घरेलू उत्पीडऩ के 239 मामले दर्ज कराए गए।
जानें छत्तीगढ़ में कम शिकायतों की वजह
ऑनलाइन शिकायतों का कम आना
देवांगन के मुताबिक राष्ट्रीय महिला आयोग में अधिकतर मेट्रो सिटीज से ऑनलाइन शिकायतें की जाती है। जबकि छत्तीसगढ़ में ऐसे शहरों की महिलाओं की तरह ऑनलाइन सेवा उपभोक्ताओं की संख्या कम हैं। आम दिनों में भी प्रदेश केे महिला आयोग में आनलाइन शिकायतें कम ही प्राप्त होती है। आदिवासी अंचलों से तो डाक से ही शिकायतें प्राप्त होती हैं। डाक सेवा फिर से सुचारू होने के बाद हो सकता है कि मामले बढ़ जाएं लेकिन अभी की स्थिति में तो शिकायतें कम ही प्राप्त हुई हंै।
40 दिन तक शराब न बिकना
राज्य महिला आयोग की पूर्व सदस्य ममता साहू का कहना है राज्य में घरेलू हिंसा के मामलों में कमी का कारण करीब 40 दिन तक राज्य में शराब नहीं मिल पाना है। जब तक शराब दुकानें बंद थी, तब तक लोग शांति से अपना जीवन बिता रहे थे। जबकि अब पहले जैसा ही हाल होने लगा है। धरमपुरा में एक महिला के पति ने शराब दुकान खुलने के बाद पीने के लिए घर बर्तन बेच दिए। इसलिए मेरा मानना है कि शिकायतों में कमी आने केे पीछे डाक से भी ज्यादा बड़ा कारण शराब दुकानें बंद होना है।