Liquor Scam in Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शराब घोटाले (Liquor Scam in Chhattisgarh) की जांच में बड़ा अपडेट आया है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने मंगलवार को विशेष न्यायालय रायपुर में 8,000 पन्नों का विशाल चालान पेश किया। यह घोटाला लगभग 3,200 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। जांच से खुलासा हुआ कि विदेशी शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी नियमों में बदलाव किया गया, जिससे राज्य सरकार को 248 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ।
मुख्य आरोपित और गिरफ्तारी
EOW ने चालान में चार प्रमुख आरोपितों को नामजद किया है—
विजय कुमार भाटिया
संजय मिश्रा
मनीष मिश्रा
अभिषेक सिंह
ये चारों फिलहाल जेल में बंद हैं। EOW ने साफ किया कि अन्य कंपनियों और संबंधित लोगों के खिलाफ अलग से अभियोग पत्र दायर(Liquor Scam in Chhattisgarh) किया जाएगा।
संगठित सिंडीकेट का जाल
जांच में सामने आया कि उस समय आबकारी विभाग के भीतर एक संगठित सिंडीकेट सक्रिय था, जिसमें शामिल थे—
अनिल टुटेजा (तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी)
अरुणपति त्रिपाठी
निरंजन दास
कारोबारी अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह
यही लोग शराब सप्लाई, मार्केट शेयर और कमीशनखोरी पर नियंत्रण रखते थे। इस संगठित तंत्र ने (Liquor Scam in Chhattisgarh) को अंजाम दिया।
विदेशी शराब पर नई नीति और घोटाला
वर्ष 2020-21 में आबकारी नीति बदली गई।
FL-10A/B लाइसेंस के तहत 3 निजी कंपनियों को सीधे विदेशी शराब आयात करने का अधिकार दिया गया।
ये कंपनियां शराब खरीदकर 10% कमीशन जोड़कर राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन(Liquor Scam in Chhattisgarh) को बेचती थीं।
यही 10% कमीशन सिंडीकेट और नजदीकी लोगों में बांटा जाता था।
इस प्रक्रिया से ही सरकार को बड़ा राजस्व नुकसान हुआ।
तीन कंपनियों का बड़ा खेल
ओम सांई ब्रेवरीज प्रा. लि.
मालिक: अतुल सिंह, मुकेश मनचंदा
छिपे लाभार्थी: विजय कुमार भाटिया
फायदा: लगभग 14 करोड़ रुपये सीधे भाटिया को।
नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा. लि.
संचालन: सीए संजय मिश्रा
जुड़ाव: मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह (अरविंद सिंह का भतीजा)
फायदा: लगभग 11 करोड़ रुपये।
दिशिता वेंचर्स प्रा. लि.
मालिक: आशीष सौरभ केडिया
नई नीति से भारी लाभ।
आगे की कार्रवाई
EOW अधिकारियों के अनुसार, (Liquor Scam in Chhattisgarh) की जांच अभी जारी है।
और कंपनियों व अधिकारियों की भूमिका सामने आ सकती है।
नए तथ्यों को अदालत में पेश किया जाएगा।
यह घोटाला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है, बल्कि राज्य की राजस्व प्रणाली को भी गहरी चोट पहुंचाता है।