Laxmaneshwar Mahadev Temple : सावन के पावन महीने में जहां देशभर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, वहीं छत्तीसगढ़ का लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर भी आस्था और पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया है। जांजगीर-चांपा जिले के खरौद नगर में स्थित यह मंदिर न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी पौराणिक मान्यता इसे त्रेतायुग से जोड़ती है।
जनश्रुति है कि भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी, जब रामायण काल में खर-दूषण वध के बाद वे इस क्षेत्र से गुजरे थे। मंदिर में स्थित शिवलिंग को ‘लक्षलिंग’ कहा जाता है, जिसमें एक लाख सूक्ष्म छिद्र होने की मान्यता(Laxmaneshwar Mahadev Temple) है। इनमें से एक छिद्र को पातालगामी माना जाता है, जिसमें डाला गया जल अंतर्ध्यान हो जाता है, जबकि एक अन्य छिद्र में सदैव जल भरा रहता है, जो कभी सूखता नहीं।
स्थानीय लोग इसे ‘छत्तीसगढ़ की काशी’ कहते हैं क्योंकि यहां प्राचीन मंदिरों की भरमार है। यह मंदिर 30 फीट ऊँचे चबूतरे पर स्थित है और श्रद्धालुओं के अनुसार यह शिवलिंग स्वयंभू है। यहां जलाभिषेक करने वाले भक्तों का विश्वास है कि पूजा का जल सीधे मंदिर(Laxmaneshwar Mahadev Temple) परिसर स्थित कुंड में पहुंचता है, जो आज तक नहीं सूखा।
धार्मिक मान्यता और प्राकृतिक विशेषताओं के साथ यह स्थल अब राज्य सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। हर साल सावन में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और यह सिलसिला अब अन्य महीनों तक भी फैल रहा है।