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Last Day of Convention : आखिरी दिन दहाड़े राहुल गांधी… बोले- 52 साल हो गया पर…?

Last Day of Convention: Rahul Gandhi roared on the last day... Said - It's been 52 years but...?

Last Day of Convention

रायपुर/नवप्रदेश। Last Day of Convention : कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय महाधिवेशन के तीसरे दिन राहुल गांधी ने अपने संबोधन में भाजपा और आरएसएस पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि महात्मा गांधी ने एक शब्द दिया था सत्याग्रह का। इसका मतलब है, सत्य के रास्ते पर चलो। हम सत्याग्रही हैं और आरएसएस बीजेपी सत्ताग्रही हैं। सत्ता के लिए किसी से मिल जाएंगे, किसी के सामने झुक जाएंगे।

उन्होंने अपने खुद के आशियाने के बारे में भी बताया।उन्होंने कहा कि 52 साल हो गए, मेरे पास आज तक अपना घर नहीं है। इलाहाबाद में जो है, वो भी मेरा घर नहीं। मैं 12 तुगलक रोड में रहता हूं, वो भी मेरा घर नहीं है।

अडानी पर किया प्रहार

राहुल गांधी ने अडानी के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार, पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि अडानी सबसे बड़ी देशभक्त हो गए और भाजपा उनकी रक्षा कर रही है। क्या है इस अडानी में कि सारे मंत्री उनकी रक्षा कर रहे हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी और अडानी एक हैं। पूरा का पूरा धन एक व्यक्ति के हाथ में जा रहा है और जब हम प्रधानमंत्री से पूछते हैं, रिश्ता क्या है तो पूरी की पूरी स्पीच हटा दी जाती है। पार्लियामेंट में अडानी के बारे में सवाल नहीं पूछा जा सकता है, लेकिन हम पूछेंगे हजारों बार पूछेंगे रुकेंगे नहीं, जब तक अडानी की सच्चाई नहीं निकलेगी, तब तक नहीं रुकेंगे।

भारत जोड़ो यात्रा के बारे में बोले राहुल गांधी

चार महीने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा हमने की। वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा मगर हमारे साथ लाखों लोग चले थे। हर स्टेट में चले। बारिश में गर्मी में बर्फ में एक साथ हम सब चले। बहुत कुछ सीखने को मिला। अभी जब मैं वीडियो देख रहा था मुझे बातें याद आ रही थीं। वीडियो में आपने देखा होगा कि पंजाब में एक मैकेनिक आकर मुझसे मिला। मैंने उसके हाथ पकड़े और सालों की जो तपस्या थी उसकी सालों का जो दर्द था जो खुशी जो दुख जैसे ही मैंने उसके हाथ पकड़े, हाथों से मैंने बात पहचानी।

वैसे ही लाखों किसानों (Last Day of Convention) के साथ। जैसे ही हाथ पकड़ते थे, गले लगते थे, एक ट्रांसमिशन सा हो जाता था। शुरुआत में बोलने की जरूरत थी कि क्या करते हो, कितने बच्चे हैं, क्या मुश्किलें हैं। ये एक डेढ़ महीने चला. उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं होती थी। जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे, सन्नाटे में एक शब्द नहीं बोला जाता था, मगर जो उनका दर्द था, उनकी मेहनत थी, एक सेकंड में समझ आ जाती थी और जो मैं उनसे कहना चाहता था, बिना बोले समझ जाते थे।

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