Site icon Navpradesh

डीएमएफ का सालाना सवा करोड़ खर्च, पर नहीं सुधर रहा रिजल्ट

gangrape symbolic pic

students file pic1

कोरबा जिले का मामला, डीएमएफ के माध्यम से शुरू अग्रगमन संस्था में पढ़ रहे 19 बच्चे ऐसे जिन्हें नहीं मिल सके 70 फीसदी मार्क

ईश्वर चंद्रा/कोरबा। कोरबा जिले (korba district) के प्रतिभावान बच्चों को आगे बढ़ाने की जिला प्रशासन की पहल कारगर साबित होते नहीं दिख रही है। इसके तहत हर साल जिले (korba district) की डीएमएफ (dmf) की करीब सवा करोड़ की राशि खर्च करने (expenditure) पर भी विद्यार्थियों (students) का रिजल्ट (result) नहीं सुधर पा रहा है (not improving)।

दरअसल 10वीं में 70 फीसदी से अधिक अंक लेेने वाले बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन ने जिला खनिज न्यास (dmf) के माध्यम से अग्रगमन संस्था दो साल पहले शुरू की थी। इस संस्था में विद्यार्थियों को 11वीं, 12वीं के साथ ही आईआईटी जेईई, नीट, पीएमटी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कराई जाती है।

संस्था के संचालन की जिम्मेदारी एक निजी कोचिंग संस्थान को दी गई है। इस पहल पर हर साल 1 करोड़ 24 लाख 28 हजार खर्च किए जा रहे हैं (expenditure), लेकिन रिजल्ट (result) में सुधार नहीं हो पा रहा है (not improving)। संस्था में पढ़ रहे इस साल 11वीं, 12वीं के विज्ञान संकाय के कुल 54 विद्यार्थियों में से 19 विद्यार्थी ऐसे भी रहें जो 70 फीसदी से कम अंक ही पा सकें। 90 प्रतिशत से अधिक अंक एक भी विद्यार्थी (student) को नहीं मिल पाया। इससे कोचिंग संस्थान पर ही सवालिया निशान लग गया है।

एकलव्य आवासीय विद्यालय निकल आगे

दूसरी ओर एकलव्य आवासीय विद्यालय में जहां अतिथि व्याख्याता पढ़ाते हैं, वहां के बच्चे आगे निकल गए हैं। इस साल 10वीं में एक छात्र ने तो प्रदेश में टॉपटेन में जगह बनाई है। साथ ही 90 प्लस 6 बच्चे आए हैं। गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने 130 बच्चों की पढ़ाई के लिए संस्था को सवा करोड़ का भुगतान किया है। अग्रगमन में 11वीं व 12वीं तो एकलव्य में 6वीं से 10वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं।

इस तरह होता है बच्चों पर खर्च

 

korba pic

सत्र 2018-19 में अग्रगमन में 130 बच्चों का चयन हुआ है। नि:शुल्क कोचिंग देने वाली अनुबंधित संस्था कोटा को 90 लाख रुपए वार्षिक जिला प्रशासन देता है। जबकि वहां पढऩे वाले चयनित प्रति बच्चे को भोजन के नाम पर प्रति माह 1500 रुपए व 200 रुपए तेल, साबुन के लिए दिए जाते हैं। यह पहल वर्ष 2016-17 में तत्कालीन कलेक्टर पी दयानंद ने शुरू की थी।

अग्रगमन में अधिकतम अंक पाने वाले छात्रों की संख्या

ब्रांच- कुल छात्र- 90 से 100- 80 से 90- 70 से 80- 60 से 70
मैथ्स- 27- 0- 6- 11- 10
बायो- 27- 0- 8- 10- 9
कुल- 54- 0- 14- 21- 19

एकलव्य आवासीय विद्यालय में 10वीं की स्थिति

कुल छात्र- 90 से 100- 80 से 90- 70 से 80
57- 6- 22- 17

कोटा से अनुबंध का उद्देश्य

किसी भी छात्र के 70 फीसदी से कम अंक न हो। हर साल बच्चे जेईई, नीट आदि प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयार हो सकें।

…और हकीकत

2019 में 27 बच्चों ने जेईई मेंस की परीक्षा दी, 14 ने जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई किया। जबकि 12वीं में 54 में से 19 बच्चों का प्राप्तांक 70 प्रतिशत से नीचे रहा।

एकलव्य स्कूल का राजेंद्र मेरिट लिस्ट में 10वें नंबर पर

एकलव्य स्कूल के प्राचार्य जीआर राजपूत ने बताया कि संस्था में 6 अतिथि व्याख्याता हैं, जो 9वीं व 10वीं की क्लास लेते हैं। आवासीय विद्यालय होने के कारण बच्चों को वे अतिथि व्याख्याताओं के साथ मिलकर सतत कोचिंग देते हैं। संस्था का एक बच्चा मेरिट में आया है। मेरिट में आने वाले राजेंद्र को हिंदी में 98, अंग्रेजी में 89, संस्कृत में 96, गणित में 98, सामाजिक विज्ञान में 99 व विज्ञान में 100 अंक मिले हैं। 96.6 प्रतिशत के साथ प्रदेश की मेरिट लिस्ट में 10वें स्थान पर है। कुल 600 में से 580 अंक राजेन्द्र ने प्राप्त किए हैं।

दोनों का उद्देश्य अलग-अलग

एकलव्य व अग्रगमन दोनों संस्थाओं का उद्देश्य अलग-अलग है। एकलव्य में सिर्फ स्कूली शिक्षा दी जाती है जबकि अग्रगमन में स्कूली शिक्षा के साथ प्रतियोगिता (जेईई, नीट) परीक्षाओं की भी तैयारी कराई जाती है। संस्था का फोकस प्रतियोगी परीक्षा की ओर अधिक होता है, इसी उद्देश्य से अनुबंधित भी किया है। खर्च की बात करें तो दोनों संस्थाओं के मामले में यह समान ही है।
-सतीश कुमार पांडेय, जिला शिक्षा अधिकारी, कोरबा

Exit mobile version