- जिले के धरचुरा गांव के 15 वर्षीय किशोर ने रायपुर के डीकेएस अस्पताल में तोड़ा दम
- परिवार के 8-10 लाख रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं बच सकी पवन साहू की जान
बलौदाबाजार/रायपुर/नवप्रदेश। किडनी की बीमारी (kidney disease) सुपबेड़ा के बाद मानों प्रदेश के अन्य जिलों मेंं भी अपने पैर पसार रही है। गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा (supebeda) के बाद रायपुर जिले से ही सटे बलौदाबाजार (baloda bazar) जिले में भी इस जानलेवा बीमारी ने दस्तक दे दी है। राजधानी से करीब 60 किमी दूर बलौदाबाजार के धरचुरा गांव के एक 15 साल के किशाेर (teenager) की किडनी फेल्याेर (kidney failure) के कारण मौत (dies) हो गई।
परिवार वालों की तमाम कोशिशों व लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी किशोर को बचाया नहीं जा सका। मृतक का नाम पवन साहू पिता लेखराम साहू है। पवन ने उपचार के दौरान राजधानी के अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त डीकेएस अस्पताल (dks hospital) में दम तोड़ (dies) दिया। गौरतलब है कि सुपेबेड़ा (supebeda) में दाे लोगों की किडनी फेल्योर की वजह से मौत हो गई।
पवन के परिजन ने नवप्रदेश को बताया कि पवन का सालभर से डीकेएस अस्पताल (dks hospital) मेंं इलाज चल रहा था। इसके पहले उसका इलाज राजधानी के ही दो निजी अस्पतालों में चला। मृत किशोर (teenager) के परिजन ने बताया कि पवन का इलाज रायपुर के बालगोपाल व बालाजी अस्पताल में कराया गया। इन अस्पतालाें के डॉक्टरों ने बताया था कि पवन की दोनों किडनियां खराब (kidney failure) हो चुकी हैं।
इलाज के खर्च के लिए बेच दिया ट्रैक्टर
निजी अस्पतालाें में इलाज के दौरान पवन के परिवारवालों का करीब 8 से 10 लाख रुपया खर्च हो गया। इलाज पर लगने वाले खर्च के लिए पवन के परिवारवालों ने खेती के लिए खरीदा गया ट्रैक्टर भी बेच दिया। अब उसके पिता लेखराम राजमिस्त्री का काम करते हैं। 15 साल के बेटे की बीमारी से परिवार अब आर्थिक रूप से टूट गया है।
डॉक्टरों ने कहा था-प्रत्यारोपण के बाद भी बचना मुश्किल
पवन के चाचा ने बताया कि यह पता चलने पर कि पवन की दोनों किडिनयां (kidneys) खराब हैं, परिवार वालों ने उसकी किडनी बदलने के लिए जमीन बेचने की भी तैयारी कर ली थी, लेकिन निजी अस्पतालों के डॉक्टराें ने बताया कि पवन के शरीर में किडनी प्रत्यारोपित करने के बाद भी उसका बचना संभवन नहीं है।
मां का राे-रोकर बुरा हाल
किशोर बेटे (teenager boy) की मौत (death) की खबर पता चलते ही पवन की मां का रो-राेकर बुरा हाल हाे गया। डीकेएस परिसर में उसे संभालने के लिए उसके परिजन के अलावा अन्य महिलाओं को भी आना पड़ा। महिलाओं के उसे ढांढस बंधाने पर भी उसके अश्रुओं की धार नहीं रुक रही थी।
एक्सपर्ट व्यू
केवल सुपेबेड़ा ही नहीं पूरे राज्य में किडनी रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कुछ ऐसा ही हाल देश का भी है। किडनी फेल्याेर (kidney failure) की सबसे बड़ी वजह बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ रही बीपी व डायबिटीज की समस्या है। इन दो के अलावा किडनी की बीमारियों के लिए अनुवांशिकता व पानी में हैवी मेटल पाया जाना भी एक वजह है।
-डॉ. आरके साहू, किडनी रोग विशेषज्ञ, रायपुर