मंदिर के पहाड़ी पर स्थित रोपवे की ट्रॉली अचानक रोप से टूटकर गिर गई
रायपुर। Ropeway of Dongargarh accident: बार-बार हादसों के बावजूद डोगरगढ़ मां बम्लेश्वरी माता के दर्शन के लिए लगे रोपवे प्रबंधन कोई सबक नहीं लेता दिख रहा है। वैसे अभी तक दो बार हुई घटनाओं में दो लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार दोपहर मंदिर के पहाड़ी पर स्थित रोपवे की ट्रॉली अचानक रोप से टूटकर गिर गई। हादसे के दौरान ट्रॉली पर पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा, भाजपा प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा, भाजपा नेता मनोज अग्रवाल और दया सिंह सवार थे। हादसे में सभी नेताओं को चोटें आई हैं। इस हादसे में भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिन्हें इलाज के लिए राजनांदगांव जिला अस्पताल रेफर किया गया है। फिलहाल रोपवे संचालन को तत्काल रोक दिया गया है।
पहली घटना सन 2016 में 29 फरवरी को ओडिशा से आए व्यवसायी और यूपी के जिले के अम्बेडकर नगर के मूल निवासी बृजभूषण मिश्रा अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ दर्शन करने आए थे। लेकिन नीचे उतरे ही रोपवे 60 फीट ऊपर ही टूट कर पहाड़ी गिर गया था। इसमें गंभीर रूप बृजभूषण मिश्रा घायल हो गए थे और उनकी पत्नी श्रीमती बिंदु मिश्रा की सिर में चोट लगने से मौत हो गई थी। इसके अलावा अन्य तीन लोग घायल हो गए थे। विडंबना देखिए जांच हुई तो प्रशासन ने यह रिपोर्ट दिया कि प्राकृतिक आपदा थी, जबकि सिर में चोट लगने से महिला की मौत हुई थी। वहीं समय से इलाज नहीं मिल पाने और गलत इंजेक्शन लगने से महिला की मौत हो गई थी। जैसा की परिजनों का कहना था।
लेकिन क्या करें न्याय की लड़ाई कैसे लड़े। थकहार कर फिर उन लोगों ने पैरवी करनी छोड़ दिया । हैरतवाली बात है कि उस समय आईएएस मुकेश बंसल कलेक्टर के रूप में राजनांदगांव (Ropeway of Dongargarh accident) में तैनात थे। उन्होंने मीडिया में बयान था कि हादसा प्राकृतिक थी और महिला हार्ट की पेशंट थीं। जबकि हकीकत थी क्या थी, यह जानने की कोशिश ही नहीं हुई। अंत में प्रशासन न तो रोपवे कंपनी से मृतक के परिजनों को मुआवजा दिला पाया और न ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। अभी वर्तमान में रोपवे में क्या उस वक्त की कंपनी ही कर रही है कि या दूसरी यह तो जांच का विषय है। क्या हैं प्रशासन किसी आम आदमी की मौत पर कुछ भी न कार्रवाई कर पाता है न ही न्याय दिला पाता है। क्योंकि रसूखदारों के आगे घुटने टेक देता है।
इसके अलावा दूसरी घटना Feb 23, 2021 को हुई थी। जिसमें रोपवे गिरने से उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया था। लेकिन मौत के जिम्मेदारों को जेल की हवा प्रशासन नहीं खिला पाया। क्योंकि जांच रिपोर्ट में ऐसा कारण बता दिया जाता है कि जिससे वे लोगों के जान लेने वाले जिम्मेदार बेगुनाह हो जाते हैं। ऐसा प्रमाण देने वाले अधिकारी भी इस महापाप के भागी बन जाते हैं। अगर यही घटना किसी नेता या वीआईपी के साथ हो तो जिम्मेदार पर कानूनी कार्रवाई कर मिट्टी में मिलाने की भरपूर कोशिश करेंगे। इसके पीछे कारण् है कि स्थानीय नेता या मंत्री साहब नाराज हो गए तो उनके कैरियर क्या होगा। अगर बाहर के दर्शनार्थी है तो सर्तक रहिए कुछ होने पर प्रशासन आपके साथ नहीं स्थानीय गुनाहगारों के साथ खड़ा मिलेगा। माता रानी नाम लीजिए सीढि़ए से जाइए क्योंकि मौत का रोपवे संचालित है।