Kharge’s objectionable comment on Mahakumbh…: खडग़ सिंह के खड़कने से भले ही खिड़कियां खड़कती हों, लेकिन खडग़े जी जब भी खड़कते हैं खिड़कियों के साथ ही दरवाजे और रोशनदान सब खड़क जाते हैं।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ पर उन्होंने बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी कि गंगा में नहाने से गरीबी दूर नहीं हो जाएगी। उनका यह लॉजिक समझ से परे है।
हालांकि उन्होंने अपनी इस टिप्पणी पर लगे हाथ माफी भी मांग ली। किन्तु तरकश से निकला तीर तो वापस नहीं आता। भाजपा ने उनकी जुबान पकड़ ली और उन्हें चुनौती दे दी कि किसी अन्य धर्म के ऐसे किसी आयोजन पर वे टिप्पणी करके दिखायें।