कवर्धा (नवप्रदेश)। इन दिनों वनांचल की आबोहवा में एक विशेष प्रकार की और मनमोहक खुशबू छाई हुई है। जंगली क्षेत्र के रास्तों से प्राय: सुबह और शाम के वक्त गुजरने वाले राहगीरों को इन दिनों भींनी-भींनी सुगन्ध का अहसास होता है। ऐसा लगता है कि जैसे पूरे माहौल में प्रकृति ने खुषबूदार इत्र का स्प्रे किया हो। इन दिनों अंचल में फैल रही यह खुशबू जंगलों में पाए जाने वाले एक झाड़ी नुमा वृक्ष के गुच्छेदार फू लों से निकल रही है जिसे स्थानीय बोली मे चटपटी फू ल कहा जाता है। स्थानीय ग्रामवासी बताते हैं कि काफी घने और हरे पत्तों वाले चटपटी की झाडिय़ों मेु अक्सर शेर और तेंदुआ विश्राम करते हैं। अखिर जंगल के राजा को सोने के लिए भीनी-भीनी खुशबू के साथ शीतलता का अहसास कराती चटपटी की छाया से अच्छी जगह और कहां हो सकती है। इन्ही दिनों विभिन्न पेड़ पौधों और लताओं के फू लों की खुशबू से महकने लगता है। पूरा वनांचल पंडरिया से बदौरा के रास्ते कोदवा जाते समय या फि र कोदवा से कामठी मार्ग पर किलकिला नदी पार करते ही सड़क के आसपास चटपटी की झाडिय़ां देखी जा सकती हंै।