- जांजगीर के प्रभारी डीएफओ जितेंद्र कुमार उपाध्याय को कटघोरा डीएफओ का अतिरिक्त प्रभार
- दलदल में फंसी हथनी की मौत के बाद कटघोरा वनमंडल के डीएफओ का हो चुका सस्पेंशन
कोरबा/नवप्रदेश। कटघोरा वनमंडल (katghora forest division) डीएफओ (dfo) को लेकर वन विभाग (chhattisgarh forest department) इन दिनोंं चर्चा में है।
कई आईएफएस (ifs) कतार में होने के बावजूद कटघोरा वनमंडल (katghora forest division) डीएफओ (dfo) का अतिरिक्ति प्रभार जांजगीर में पदस्थ प्रभारी डीएफओ जितेंद्र कुमार उपाध्याय को सौंप दिया गया। उपाध्याय का मूल पद एसडीओ है।
दरअसल दलदल में फंसी हथनी की मौत वन विभाग की लापरवाही केे कारण होने की पुष्टि के बाद कटघोरा के तत्कालीन डीएफओ डीडी संत को निलंबित कर दिया गया।
अब उनके स्थान पर विभाग (chhattisgarh forest department) के आला अफसरों ने जांजगीर में पदस्थ प्रभारी डीएफओ जितेंद्र कुमार उपाध्याय को डीएफओ का प्रभार देकर सबको चौंका दिया है। अफसरों ने इसके पीछे तर्क भी दिया है कि डीएफओ होने से क्या होता है।
12 आईएफएस लूप लाइन में
अब जिस कद्र प्रभारी अधिकारी बनने का ट्रेंड चला है उससे बतौर आईएफएस (ifs) सेवा देने वालों में काफी नाराजगी है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 12 आईएफएस लूप लाइन में बैठे हैं और प्रमोटी अफसर डिविजन चला रहे हैं। आईएफएस अफसरों के कार्य करने के तौर तरीके अलग होते हैं। यही वजह है कि उन्हें वनमंडल का डीएफओ बनाया जाता है। लेकिन मौजूदा हालात कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं।
सीसीएफ बोले-आईएफएस होने से क्या होता है
चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, बिलासपुर से वन मंडल कटघोरा के डीएफओ पद पर नियुक्ति को लेकर सवाल करने पर उन्होंने अनोखा तर्क दिया। कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश से लगा हुआ ओडिशा है जहां लगभग 30 फीसदी प्रमोटी अफसरों को मुख्य पद दिया जाता है, ताकि वन विभाग को उनका लाभ मिल सके। मुख्य वन संरक्षक अनिल सोनी ने यह भी कहा कि आईएफएस बनने से क्या होता है। वन विभाग में सभी जंगल कि सुरक्षा के लिए ही काम करते हैं। आईएफएस से बेहतर काम प्रमोटी लोगों का रहता है
पर्दे के पीछे की कहानी
डीएफओ का पद मलाइदार माना जाता है। वन विभाग की गतिविधियों और कामकाज के सारे ऑर्डर डीएफओ के हस्ताक्षर से होते हैं। डीएफओ को फाइनेंस के सारे अधिकार हैं। वन मुख्यालय में सीएफ से ऊपर सीसीएफ एडिशनल पीसीसीएफ और पीसीसीएफ बैठे रहते हैं। इक्का-दुक्का सीएफ को छोड़कर बाकी अधिकारियों को केवल फाइल में ही सिर खपाना पड़ता है। उन्हें सीधे ऑर्डर करने का अधिकार ही नहीं रहता। यही वजह है कि ज्यादातर अफसर डीएफओ की कुर्सी छोडऩा नहीं चाहते।
शासन के निर्देश पर जांजगीर के प्रभारी डीएफओ जितेंद्र कुमार उपाध्याय को कटघोरा वन मंडल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जांजगीर जैसे बड़े जिले में काम करने के अनुभव का लाभ उनके पास है। इसलिए उन्हें कटघोरा का डीएफओ बनाया गया है।
-अनिल सोनी, सीसीएफ बिलासपुर