Karnataka government: इसे ही कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली पांच गारंटी को लागू करके कर्नाटक सरकार ने प्रदेश को दिवालिएपन की कगार पर पहुंचा दिया है।
अब उसने कर्नाटक में कार्यरत निजी क्षेत्र की कंपनियों में स्थानीय लोगों को 50 से 100 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला कर अपने पांव कुल्हाड़ी पर मार दिया है। भले ही उसने दूसरे ही दिन यह फैसला स्थगित कर दिया है।
लेकिन तीर तो कमान से निकल चुकी है। अब कर्नाटक में निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश करने से पहले सौ बार सोचेगी। जो है वे भी पलायन कर सकती है।