Karnataka Assembly Elections : कर्नाटक में परंपरा कायम रही

Karnataka Assembly Elections : कर्नाटक में परंपरा कायम रही

Karnataka Assembly Elections: Tradition continues in Karnataka

Karnataka Assembly Elections

Karnataka Assembly Elections : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम वैसे ही रहे जैसे की उम्मीद थी। पिछले तीस सालों से कर्नाटक की जनता हर चुनाव में सरकार बदल देती है। कहते है कि ना कि रोटी को अच्छी तरह सेकने के लिए उसे पलटना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश और राजस्थान की तरह ही कर्नाटक में भी हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा रही है। यहां के मतदाताओं को इस बात से कोई मतलब नहीं रहता कि सरकार अच्छा काम कर रही है या बुरा। वे हर पांच साल में सरकार बदल देते है। कर्नाटक में भी इस बार यही हुआ। सभी खबरियां चैनलों में एग्जिट पोल में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना व्यक्त की थी जो सही साबित हुई।

अलबत्ता कांग्रेस ने 136 सीटें जीतकर नया इतिहास रच दिया है। यह भी कर्नाटक के मतदाताओं की जागरूकता ही कही जाएगी कि उन्होंने कांग्रेस को बगैर किसी बैशाखी के अपने बल बुते पर प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाने का अवसर दिया है। इससे कर्नाटक ने स्थिर सरकार रहेगी। निश्चित रूप से कर्नाटक में कांग्रेस की इस ऐतिहासिक जीत से पुरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा। वहीं दूसरी तरफ भाजपा को मात्र 66 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। यह भाजपा के लिए तगड़ा झटका है। भाजपा ने वहां लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाने के लिए पुरी ताकत झोक रखी थी। यद्यपी भाजपा को यह पता था कि मुकाबला कड़ा होगा लेकिन किसी भी भाजपा नेता ने यही नहीं सोचा था कि भाजपा को सिर्फ 66 सीटें मिलेगी।

दरअसल भाजपा में यह धारणा बन गई है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम सहारे ले कहीं भी चुनावी वैतरणी पार करने में सफल हो जाएंगे। जबकि ऐसा नहीं है हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार के बाद यह बात साफ हो गई कि मोदी मैजिक हर जगह नहीं चलता लेकिन इससे कर्नाटक के भाजपाईयों ने कोई सबक नहीं लिया और जमीर पर मेहनत करने की जगह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे बैठे रहे। यद्यपी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अनेक केन्द्रीय मंत्रियों ने कर्नाटक में जमकर मेहनत की लेकिन वे भाजपा को जीत दिलाना तो दूर करारी हार से भी नहीं बचा पाए।

इस हार से भाजपा को सबक लेना चाहिए, रही बात जेडीएस की तो उसका भी किंग मेकर बनने का सपना धरा रह गया। उसे मात्र 30 सीटों पर संतोष करना पड़ा। बहरहाल अब कर्नाटक की जनता ने जो जनादेश दिया है उसका सभी को सम्मान करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं से जो वादे किए थे अब उसे पूरा करना वहां की नई सरकार का दायित्व बन जाएगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि कर्नाटक की नई सरकार कर्नाटक की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करेगी और उनके विश्वास की कसौठी पर खरा उतरेगी। इन चुनाव परिणामों में एक बात अच्छी हुई है कि इस बार ईवीएम पर सवालियां निशान लगाने का किसी को मौका नहीं मिला है। इस तरह ईवीएम एक बार फिर बदनाम होने से बच गई है।

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