Kangana Ranaut Defamation Case : सुप्रीम कोर्ट अभिनेत्री और भाजपा सांसद कंगना रनौत की याचिका पर 12 सितंबर को सुनवाई करेगा। यह याचिका मानहानि (defamation) से जुड़े उस मामले के संदर्भ में दायर की गई है, जिसमें हाई कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
कंगना रनौत ने अपनी याचिका में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने से इंकार कर दिया था। यह मामला किसान आंदोलन (farmers’ protest) के दौरान दर्ज हुआ था। दरअसल, वर्ष 2020-21 में हुए इस आंदोलन के बीच कंगना ने ट्विटर पर एक महिला प्रदर्शनकारी के संबंध में टिप्पणी करते हुए रीट्वीट किया था।
याचिका में कहा गया है कि 73 वर्षीय महिंदर कौर, जो पंजाब के बठिंडा जिले के बहादुरगढ़ जांडियान गांव की रहने वाली हैं, ने 2021 में कंगना के खिलाफ शिकायत (legal complaint) दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि अभिनेत्री ने ट्वीट में उन्हें शाहीन बाग आंदोलन में शामिल दादी यानी बिलकिस बानो बताकर गलत ढंग से प्रस्तुत किया। कौर का कहना है कि इस कथन ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया और उनकी छवि समाज में कमजोर की। यह शिकायत बठिंडा की एक अदालत में दाखिल की गई थी।
हाई कोर्ट ने एक अगस्त को दिए अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता कंगना रनौत एक अभिनेत्री और सार्वजनिक जीवन से जुड़ी शख्सियत हैं। उनके खिलाफ यह आरोप है कि रीट्वीट में किए गए कथन झूठे और मानहानिकारक (false allegations) थे। अदालत ने कहा कि ऐसे आरोपों से शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है और शिकायत दर्ज करना उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक वैध कदम है। कोर्ट ने इस आधार पर कंगना की याचिका खारिज कर दी थी।
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है। कंगना ने दलील दी है कि उनके कथन को गलत अर्थों में लिया गया और यह जानबूझकर किसी को बदनाम करने के इरादे से नहीं किया गया था। वहीं, शिकायतकर्ता पक्ष का कहना है कि सार्वजनिक मंच पर की गई ऐसी टिप्पणी से समाज में उनकी छवि खराब हुई और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से परे जाकर उनकी गरिमा का उल्लंघन है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में इस सुनवाई के दौरान न केवल इस विशेष मामले की गहराई से समीक्षा होगी, बल्कि यह भी तय होगा कि सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हस्तियों द्वारा किए गए बयानों की सीमा कहां तक है। कोर्ट का यह निर्णय आने वाले समय में ऐसे मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल भी बन सकता है।