नई दिल्ली, 20 मई| Jyoti Malhotra Case Update : यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के केस में अब सिर्फ सोशल मीडिया कंटेंट नहीं, बल्कि वीडियो प्रोडक्शन स्टाइल और लोकेशन की सटीकता भी जांच एजेंसियों के लिए अहम सबूत बन गई है। जांच एजेंसियों को यह समझ में आ रहा है कि किस तरह वीडियो की एडिटिंग, कैमरा एंगल और बैकग्राउंड नॉइज़ का प्रयोग कर सीमा सुरक्षा से जुड़ी जानकारी रिकॉर्ड की जा रही थी।
यह सिर्फ लोकेशन कवर नहीं थे—बल्कि एक बेहद योजनाबद्ध तरीका था जिससे हाई-रिज़ोल्यूशन फीड के जरिए मिलिट्री मूवमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर को ट्रैक किया जा रहा था।
सूत्रों के मुताबिक, ज्योति के कैमरा उपकरणों की क्षमता अत्याधुनिक थी—जिनमें से कुछ उपकरणों का पोर्टेबल एनक्रिप्टेड ट्रांसमिशन सिस्टम से भी लिंक होने का शक (Jyoti Malhotra Case Update)है। ज्योति के वीडियोज़ में बार-बार ड्रोन्स या ऊँचे व्यू पॉइंट से शूट की गई क्लिप्स दिखाई दी हैं, जो सामान्य टूरिस्ट फॉर्मेट से मेल नहीं खातीं।
इसके अलावा यह भी सामने आया है कि ज्योति को अक्सर ऐसे स्पॉट्स पर देखा गया, जो आम टूरिस्ट परमिशन के दायरे में नहीं आते। ये जगहें स्ट्रैटेजिक मोनिटरिंग ज़ोन मानी जाती (Jyoti Malhotra Case Update)हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि तकनीक और कंटेंट क्रिएशन को मिलाकर एक नया प्रकार का हाइब्रिड जासूसी नेटवर्क बनाया गया था, जिसमें डिजिटल फॉर्मेट का उपयोग करके बेहद संवेदनशील सूचनाएं देश से बाहर ट्रांसफर की गईं।