Justice Surya Kant : सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को देश का अगला प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। परंपरागत प्रक्रिया के अनुसार, सरकार उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर रही है।
कानून मंत्रालय की ओर से जल्द ही वर्तमान प्रधान न्यायाधीश से उनके उत्तराधिकारी के नाम पर औपचारिक सिफारिश मांगी जाएगी। यह प्रक्रिया न्यायपालिका (Justice Surya Kant) के उस लंबे समय से चले आ रहे परंपरागत ढांचे का हिस्सा है, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही भारत का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
जस्टिस सूर्यकांत 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे। हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को जन्मे सूर्यकांत का जीवन सफर एक सामान्य परिवार से शुरू होकर देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था तक पहुंचने का रहा है। वे उन न्यायमूर्तियों में गिने जाते हैं जिन्होंने संविधान की भावना को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णयों में भूमिका निभाई।
उनकी अध्यक्षता वाली या सहभागिता वाली पीठों ने अनुच्छेद 370 को लेकर ऐतिहासिक फैसलों से लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक अधिकारों, भ्रष्टाचार विरोध और लैंगिक समानता जैसे विषयों पर भी महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण रखे हैं। अगर सब कुछ तय क्रम से होता है, तो जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
संगठित न्यायिक प्रक्रिया में, प्रधान न्यायाधीश (Justice Surya Kant) का कार्यकाल न केवल अदालतों के प्रशासनिक ढांचे का नेतृत्व करना होता है बल्कि संवैधानिक मामलों में सर्वोच्च विचार देने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास होती है। यही कारण है कि आगामी नियुक्ति को न्यायपालिका की दिशा तय करने वाली एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है।

