बिलासपुर/नवप्रदेश। Jhiram Ghati Incident : झीरम घाटी मामले में NIA को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, हाई कोर्ट ने एनआईए की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य सरकार की एजेंसी से जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी। बिलासपुर हाइकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज सुनवाई के बाद ये फैसला दिया है।
उदय मुदलियार के बेटे जांच से नाखुश होकर दर्ज कराई थी प्राथमिकी
ज्ञात हो कि, झीरम (Jhiram Ghati Incident) में शहीद हुए कांग्रेस नेताओं में से एक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने इस मामलें में दरभा थाने में इस मामलें में साल 2020 में प्राथमिकी दर्ज़ करवाए थी। उन्होंने ये प्राथमिकी नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के चालान के पेश करने के बाद असंतुष्ट होने के बाद दर्ज़ करवाई थी।
इस FIR के खिलाफ जाँच एजेंसी ने स्पेशल जज की अदालत में याचिका लगा कर केस डायरी सौपने की मांग रखी थी, जिसे स्पेशल जज ने खारिज कर दिया था।
कोर्ट ने कहा- राज्य की एजेंसी जांच के लिये स्वंत्रत
इसी के बाद ने नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर आज ज़िरह हुई। आज याचिका पर जस्टिस सामंत व जस्टिस चंदेल की डिवीजन बेंच में हुई ज़िरह के बाद कोर्ट ने कहा कि “राज्य की एजेंसी जांच करने के लिये स्वंत्रत हैं।” इस टिपण्णी के साथ कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया।
परिवर्तन यात्रा समाप्त कर लौट रहा था नेताओं का काफिला
ग़ौरतलब है कि, छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी कांड 26 मई 2013 को हुई थी, जिसमें नक्सलियों (Jhiram Ghati Incident) ने कांग्रेस के बड़े 25 नेताओं की हत्या कर दी थी। यह हमला देश के इतिहास के सबसे बड़े नक्सली हमलों में गिना जाता है। इस हमले में 4 बड़े नेताओं की भी मौत हो गई थी। नक्सलियों ने बर्बरता की सभी हदें पार कर दी थी। कांग्रेस परिवर्तन यात्रा समाप्त कर नेताओं का काफिला के साथ लौट रहा था, तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों ने काफिले पर हमला कर दिया था। इस काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिस्में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, उदय मुदलियार समेत लगभग 200 नेता-सुरक्षाकर्मी सवार थे।