बिलासपुर/नवप्रदेश। Jhiram Ghati Incident : छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित झीरम घाटी कांड की जांच के लिए गठित नए आयोग की सुनवाई और कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी है। विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य सरकार के नए आयोग के गठन की वैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत ने राज्य शासन और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई अब 4 जुलाई को होगी।
बुधवार को इस मामले में अधिवक्ता (Jhiram Ghati Incident) विवेक शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा की आयोग ने जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। जिसे 6 माह के भीतर विधानसभा में रखा जाना था लेकिन, सरकार ने रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की और नया आयोग गठित कर दिया है। याचिका में उन्होंने आयोग गठन की प्रक्रिया को भी अवैधानिक बताया है।
विधानसभा में प्रस्तुत होनी थी रिपोर्ट
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अधिवक्ता विवेक शर्मा के माध्यम से पीआईएल दायर कर बताया है कि पूर्व में राज्य सरकार ने झीरम घाटी कांड की जांच के लिए हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। तब से आयोग पिछले आठ साल से इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जांच पूरी होने के बाद जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने चीफ जस्टिस बनने के पहले अपनी जांच रिपोर्ट राज्य शासन को सौंप दी है। कानून के अनुसार किसी आयोग की जांच रिपोर्ट को छह माह के भीतर विधानसभा में पेश करके सार्वजनिक किया जाना चाहिए लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। राज्य शासन ने करीब पांच माह पहले दो सदस्यीय रिटायर्ड जस्टिस सुनील अग्निहोत्री और जस्टिस मिन्हाजुद्दीन के न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है।
याचिका में जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की जांच रिपोर्ट को विधानसभा में रखकर उसे सार्वजनिक करने की मांग की गई है। इसके साथ ही कहा गया है कि एक जांच आयोग जिस मामले की जांच कर चुका है उसकी दोबारा जांच के लिए नया आयोग नहीं बनाया जा सकता। लिहाजा, नए आयोग को भंग किया जाए।
राजनीतिक काफिले पर सबसे बड़ा नक्सली हमला
छत्तीसगढ़ (Jhiram Ghati Incident) में साल 2013 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के नेतृत्व में प्रदेश भर में परिवर्तन रैली का आयोजन किया गया था। 25 मई 2013 को सुकमा में परिवर्तन रैली हुई। रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर के निकला था। जिसमें नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ला, उदय मुदलियार समेत अन्य नेता और कार्यकर्ता 25 गाडिय़ों में सवार थे। उस दिन शाम करीब 4 बजे झीरम घाटी के पास नक्सलियों ने पेड़ गिराकर काफिले को रोक दिया और फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में कांग्रेस के ज्यादातर दिग्गज नेताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इस पूरी वारदात में 29 लोगों की मौत हुई थी।
किसे बचाना चाह रही कांग्रेस
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- भूपेश सरकार के गाल पर हाईकोर्ट का एक और तमाचा। झीरम मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित गए आयोग की कार्यवाही पर कोर्ट ने रोक लगा दी है। पुराने आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक किए बिना ही सरकार ने नया आयोग गठित कर दिया है। कांग्रेस सरकार आखिर किसे बचाने की कोशिश कर रही है?