झारखंड विधानसभा के रजत जयंती समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के 25 साल (Jharkhand 25 Years Celebration) के सफर को ऐतिहासिक करार दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड का सृजन किसी साधारण राजनीतिक घटना का परिणाम नहीं था, बल्कि यह आदिवासी-मूलवासी समाज के संघर्ष, बलिदान और स्वाभिमान की दीर्घ यात्रा का नतीजा है। उन्होंने कहा कि 25 वर्षों की यह यात्रा अनेक अनुभवों, चुनौतियों और उपलब्धियों से बनी है, जिसे आज राज्य एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ा रहा है।
मुख्यमंत्री (Jharkhand 25 Years Celebration) ने कहा कि राज्य गठन के बाद गरीबी, कुपोषण और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में अपेक्षित प्रगति लंबे समय तक नहीं हो सकी थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक सशक्तीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता बनाई है। (Jharkhand Government Schemes) उन्होंने कहा कि ‘सेवा का अधिकार’ जैसे कार्यक्रमों ने शासन की नीतियों को सीधे जनता तक पहुंचाया है। सरकार का लक्ष्य है कि हर गांव, हर समुदाय और हर नागरिक को न्याय, पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन का अनुभव मिले।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन न केवल झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे, बल्कि वे राज्य की आत्मा, संघर्ष और स्वाभिमान के प्रतीक थे। (Jharkhand Tribal Rights) उनके नेतृत्व में झारखंड आंदोलन ने जन-आंदोलन का रूप लिया, जिसने अलग राज्य निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श आने वाली पीढ़ियों को हमेशा मार्ग दिखाते रहेंगे।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उत्कृष्ट विधायक के रूप में चयनित राज सिन्हा को बधाई दी और कहा कि यह सम्मान सदन की गरिमा और जनप्रतिनिधि होने के अनुशासन का प्रतीक है। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने नक्सल अभियान और सीमा पर शहीद हुए पुलिसकर्मियों व सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए स्मृति-चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। समारोह में ‘सदन संवाद’, ‘उड़ान’ पत्रिका के 99वें-100वें अंक और विधानसभा सदस्यों के जीवन-परिचय ग्रंथ का लोकार्पण भी किया गया।
राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने समारोह में संबोधन देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दूरदर्शी नेतृत्व को याद किया, जिन्होंने क्षेत्रीय आकांक्षाओं और विकास की जरूरतों को समझकर झारखंड राज्य का गठन किया। (Jharkhand Rajya Gathan) राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा केवल बहस का मंच नहीं, बल्कि नीति-निर्माण का केंद्र है। विधायकों का दायित्व है कि संवैधानिक मर्यादाओं का सम्मान करते हुए योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जाए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, उद्योग और आधारभूत संरचना जैसे क्षेत्रों में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इन्हीं में विकास के बड़े अवसर भी छिपे हैं। उन्होंने कहा—“विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे सशक्त सेतु होते हैं, उनकी भूमिका राज्य की प्रगति के लिए निर्णायक है।” अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि वे आठ बार लोकसभा सदस्य रहे और हमेशा जनता के विश्वास को सेवा का अवसर मानकर काम किया। उन्होंने कहा—“कभी बरेली जाइए, लोग मेरे कामों के बारे में बताएंगे।”
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी, संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर, मुख्य सचेतक नवीन जायसवाल, उत्कृष्ट विधायक राज सिन्हा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।

