-20 फरवरी को है जया एकादशी, भूत-प्रेत योनि से मुक्ति के लिए किया जाता है यह व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी (Jaya Ekadashi) व्रत का बहुत महत्व है। 20 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भूत-प्रेत, राक्षस आदि से मुक्ति मिल जाती है।
हर माह दो एकादशियां होती हैं। इस प्रकार एक वर्ष में 24 एकादशियाँ होती हैं। अधिक मास में दो एकादशियाँ और जुड़ जाती हैं और वर्ष में 26 एकादशियाँ हो जाती हैं। माघ माह में षटतिला और जया एकादशी आती हैं। जया एकादशी है। इसे भीष्म एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी को करने से चार लाभ मिलते हैं।
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इस एकादशी (Jaya Ekadashi) का महत्व समझाया। एकादशी मन और शरीर को एकाग्र करती है। प्रत्येक एकादशियों का अलग-अलग महत्व होता है। जो लोग जया एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और उनका मन शांत रहता है।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले को पापों से मुक्ति मिल जाती है। जया एकादशी के दिन रवि योग और त्रिपुष्कर योग एक साथ आने से इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। जया एकादशी का व्रत करने से धन में वृद्धि होती है और दैनिक कार्यों में सफलता मिलती है।
यह व्रत तीन प्रकार से किया जाता है। उपवास करके, फल खाकर या सिर्फ पानी पीकर! लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इतना कठिन व्रत करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। तो शास्त्रों ने इसका एक विकल्प सुझाया है, वह है नामस्मरण। एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय तिथि है। इस अवसर पर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना या सुनना, भक्तिपूर्वक विष्णु को तुलसी जल चढ़ाना या जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान करने से एकादशी का पुण्य कम हो जाता है।