अबुजा, 19 मई। JAS Terror Attack : नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी जंगलों में फिर वही मंज़र दोहराया गया — जलते घर, खून से सनी ज़मीन और भय से कांपते चेहरे। आतंक की गूंज एक बार फिर जमातु अहलिस सुन्ना लिद्दावति वल जिहाद (JAS) नामक उग्रवादी संगठन ने फैलाई, जिसने 57 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी, और 70 से अधिक अब भी लापता हैं।
गांव नहीं, खौफ के नक्शे पर बने धब्बे
हमले में JAS के आतंकियों ने दो गांवों को बर्बादी में बदल दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, पहले गांवों में आग लगाई गई, फिर आतंकियों ने घर-घर जाकर नरसंहार किया। कुछ को गोलियों से भून दिया गया, तो कुछ को काट डाला गया। बच्चों और महिलाओं तक को नहीं बख्शा (JAS Terror Attack)गया।
कौन हैं JAS?
JAS, जिसे अक्सर “बोको हराम की छाया से निकली और भी घातक शाखा” कहा जाता है, इस्लामिक कट्टरपंथ को हथियार बनाकर हिंसा का तांडव मचाता रहा है। यह संगठन पहले भी स्कूलों, चर्चों, और गांवों पर हमलों में लिप्त रहा है।
राहत से पहले डर
सेना और राहत दल मौके पर पहुंच चुके हैं, लेकिन दुर्गम इलाके, टूटी हुई सड़कों और असुरक्षित माहौल के कारण बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं। हजारों लोग बेघर होकर जंगलों में शरण लिए हुए (JAS Terror Attack)हैं।
अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की पुकार
मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र और अफ्रीकी संघ से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। यह सिर्फ नाइजीरिया का संकट नहीं — यह एक वैश्विक चेतावनी है कि आतंक अब भी दुनिया के सबसे उपेक्षित हिस्सों में निर्दोषों की जान ले रहा है।