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Jansunvai : बैंक अधिकारी करते थे बुजुर्ग महिला को परेशान…देखें आयोग की छड़ी

Jansunvai: Bank officials used to harass the elderly woman... see the wand of the commission

Jansunvai

रायपुर/नवप्रदेश। Jansunvai : राज्य महिला आयोग में आए दिन कोई न कोई शर्मनाक मामला सामने आता रहता है। जिसे आयोग के अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और उनकी टीम बड़ी ही संजीदगी से सुलझाती है।

बीमा में भाई ने बहन को रखा नॉमिनी तो नाराज भाभी

आज एक प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि उसके स्व भाई के नाम पर बीमा था। जिसमे मैं नॉमिनी था। बीमा की राशि अनुमानित 2 लाख रुपये मिलेगा। इस राशि से मैं आवेदिका की बेटियों के नाम पर 50-50 हजार रुपये देने तैयार हूं। अनावेदक ने यह भी बताया कि आवेदिका मेरे नाम की कॉम्प्लेक्स के कुछ स्थानों पर कब्जा कर निवास कर रही है। अगर वह उस स्थान से हटने को राजी होती है, तो मेरे स्वर्गीय भाई के हक का 5 लाख रुपये जो मैंने कहीं सुरक्षित रखा है, उसे मैं आवेदिका को मकान बनाने के लिए देने को तैयार हूं या उससे मैं मकान बनाने तैयार हूं।

अनावेदक ने कहा कि आवेदिका ने मेरे भाई के नाम पर जो जमीन थी उसे अपने नाम पर कर लिया है। इस सम्पत्ति का कुछ हिस्सा को बेचकर अपने जीवन यापन कर सकती है। शेष सम्पत्ति को दोनो बच्चे के 21 वर्ष होने तक सुरक्षित रखें। बच्चो के परवरिश और विवाह के लिए उपयोग कर सकती है। इस पर आवेदिका ने बताया कि उसने अपने पति के नाम की जमीन को अपने नाम पर चढ़ाया है। इस पर सास की ओर से आपत्ति दर्ज है। 

जिस पर अनावेदक ने आश्वासन दिया है कि वह आपत्ति को पूरी तरह से हटवाकर आवेदिका एवं उसकी बच्चियों के नाम दर्ज कराया जाएगा। इन सभी शर्तों पर दोनो पक्ष सहमत हैं। इस प्रकरण को आयोग ने 1 माह की निगरानी में रखते हुए दोनो पक्षों के मध्य समझौतानामा तैयार करने काउंसलर भी नियुक्त किया गया है। काउंसलर के रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

इकलौते संतान के फर्जी दस्तावेज पेश कर ऐंठे 7 लाख अब अन्य नाराज

एक अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई में अनावेदक के अधिकारी उपस्थित हुए थे। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि आवेदिका के पिता के शासकीय अभिलेख में आवेदिका का नाम अनावेदक के साथ 2 संतान के रूप में दर्ज है। अनावेदक ने झूठे दस्तावेज के आधार पर 7 लाख रुपये स्वयं को एकमात्र संतान बताकर प्राप्त कर लिया है। जिसके संबंध में विस्तार से आदेश जारी किया जाएगा।

अधिकारी ने यह भी स्वीकार किया है कि आवेदिका के खाते में जीआईएस और जीपीएफ लगभग 4 लाख रुपये की राशि जमा है, चूंकि अनावेदक पिता की मृत्यु के बाद पिता की नौकरी भी खा चुका है। ऐसी दशा में आवेदिका का आवेदन स्वीकार किये जाने के पर्याप्त आधार है ऐसी दशा में आवेदिका के स्व. पिता की शेष जमा राशि आवेदिका की है।

आयोग की ओर से आवेदिका को उसके बैंक खाते में लगभग 4 लाख रुपये जमा राशि को अंतरित कर उसे प्रदाय किये जाने विभागीय कार्यपालन अभियंता को पत्र प्रेषित किया जाएगा।जिसमे विभागीय प्रक्रिया के दस्तावेज और पालन प्रतिवेदन को एक माह के भीतर आयोग को रिपोर्ट प्रेषित किया जाएगा।जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी के लिखित शर्तो पर आयोग के समक्ष हस्ताक्षर किये हैं।दोनो के मध्य समस्याओं का समाधान हुआ है।जिसमे अनावेदक पति घर का पूरा खर्च वहन करने के साथ आवेदिका को प्रतिमाह 8 हजार रुपये देगा।दोनो एक दूसरे की शर्तों का पालन करेंगे। आयोग की ओर से इस प्रकरण को 6 माह की निगरानी में रखते इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।

बैंक अधिकारियों ने बुजुर्ग को किया तंग अब आयोग ने किया तलब

एक अन्य प्रकरण में पिछले सुनवाई में अनावेदिका को बैंक के दस्तावेज, 2 करोड़ रुपये इंसयोरेन्स और हस्तांतरण के दस्तावेज लेकर आने कहा गया था। परंतु आज सुनवाई में अनावेदिका ने दस्तावेज को दिए बिना सुनवाई से बचने का प्रयास किया और आज थाना सिविक सेंटर भिलाई के माध्यम से अनावेदिका की उपस्थिति हुई है। साथ ही आयोग के निर्देश का पालन करने से भी इंकार कर रही है और अपने मृतक पति की सारी सम्पत्ति को अकेले हड़पकर आवेदिका जो कि मृतक की माँ है उसके ऊपर वृद्धावस्था में 30 लाख रुपये के लोन का भार डालकर बचना चाह रही है। इस प्रकार का कार्य सरासर धोखेबाजी तथा गबन का अपराध है। इस स्तर पर आवेदिका ने व्यक्त किया कि अनावेदिका लोन नही पटा पा रही है और बैंक वाले आवेदिका को परेशान कर रहे है।

आवेदिका के द्वारा कहे गए कथन के आधार पर निर्देश दिया गया है कि जिस बैंक के अधिकारी और कर्मचारी उन्हें परेशान कर रहे हैं उनका सम्पूर्ण जानकारी आयोग में दे सकते हैं। जिससे कि उन्हें आयोग की सुनवाई में उपस्थित कराकर इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। चूंकि इस प्रकरण पर अनावेदिका ने यह भी बताया कि बैंक वालो के कहने पर ही उसने अपना नाम ट्रांसफर करवाया है। इससे यह भी साबित होता है कि बैंक वाले भी अनावेदिका के साथ मिलीभगत है और उस सम्पत्ति का लोन पटाने के लिए बुजुर्ग मां को परेशान किया जा रहा है। उनके जवाब के पश्चात ही इस प्रकरण पर आगामी निर्णय लिया जा सकेगा।

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