महिला बाल विकास और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
नवप्रदेश संवाददाता
जांजगीर-चांपा। महिला बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने नवागढ़ क्षेत्र के ग्राम अमोरा में हो रही नाबालिग की शादी को रोक दिया। इसके अलावा बम्हनीडीह क्षेत्र के ग्राम कपिस्दा में नाबालिग की शादी रूकने से बारात वापस लौट गई। जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेन्द्र सिंह जायसवाल और पुलिस की टीम ने दोनों गांव पहुंचकर जब अंकसूची की जांच की तो दोनों बालिका नाबालिग निकलीं।
आपकों बता दें कि बालिका का विवाह अक्षय तृतीया को होना निर्धारित था। विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने बालिका की उम्र 17 वर्ष 4 होना पाया। टीम ने बालिका तथा उसके माता-पिता एवं स्थानीय लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराया। साथ ही समझाइश के बाद सरपंच एवं स्थानीय लोगों की उपस्थिति में बालिका के माता-पिता की सहमति से बालिका का विवाह रोका गया है। इसी प्रकार ग्राम कपिस्दा विकासखण्ड बम्हनीडीह में बालिका का विवाह 26 अप्रैल को निर्धारित था जहां बारात पहुंच चुकी थी एवं विवाह की संपूर्ण तैयारी हो चुकी थी। विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने बालिका की अंकसूची देखी तो बालिका की उम्र 15 वर्ष 11 माह होना पाया गया। ऐसे में वर-वधु पक्ष को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों की जानकारी देते हुए बाल विवाह कानूनी अपराध के संबंध में दोनो पक्षों को अवगत कराया गया। साथ ही समझाइश के बाद वर एवं वधु पक्ष, संरपच एवं उपस्थित स्थायी निवासियों के समक्ष नाबालिक बालिका का विवाह रोका गया। इस टीम में जिला बाल संरक्षण इकाई से जिला बाल संरक्षण अधिकारी गजेन्द्र सिंह जायसवाल, संरक्षण अधिकारी सुश्री पूजा तिवारी, आउटरिच वर्कर सुशील पटेल एवं अमित भोई आउटरीच वर्कर तथा परियोजना जांजगीर से बम्हनीडीह से श्रीमती अरूणा तिवारी, श्रीमती दुर्गेश नंदनी यादव, तथा पुलिस विभाग थाना प्रभारी सी तिग्गा सारागांव, भगवान सिंह राज सहायक उपनिरीक्षक, राम कृष्ण खैरवार चाइल्ड लाईन समन्वयक अश्वनी साहू शामिल थे।
बाल विवाह यानी जेल की हवा
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। निर्धारित उम्र से कम होने की स्थिति में बाल विवाह करने पर पुलिस विभाग द्वारा अपराध पंजीबद्ध करते हुए विवाह करने वाले माता-पिता, विवाह में सम्मिलित होने वाले रिश्तेदार, विवाह कराने वाले पंडित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिनियम के तहत 2 वर्ष का कठोर सश्रम कारावास तथा 1 लाख जुर्माने अथवा दोनों से दंडित किए जाने का प्रावधान है।