राजीव चंद्रशेखर। Jammu and Kashmir : मैंने हाल ही में सितंबर के अंतिम सप्ताह में पहली बार जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। यह यात्रा कई बातें को स्पष्ट करती है। पिछले कई वर्षों में, मैंने देश-विदेश की यात्राएँ की, तो मैं अब-तक जम्मू-कश्मीर नहीं जा सका/नहीं गया। निराशा होती है, लेकिन यह सच है।
मुझे ईमानदार होना चाहिए – कुछ लोगों द्वारा जारी अशांति के इस अंतर्निहित विवरण की पृष्ठभूमि में एक प्रौद्योगिकी और कौशल विकास मंत्री के रूप में मुझे क्या कहना चाहिए या क्या करना चाहिए, इस बारे में मैं घबराहट का अनुभव करता था।
मैंने जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के श्रीनगर, बडगाम और बारामूला जिलों की यात्रा की। हमारे प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप,मेरा कार्यक्रम लोगों से मिलने और बातचीत करने पर आधारित था। इसके साथ ही मुझे कुछ विकास परियोजनाओं का शुभारम्भ करना था, जिन्हें इस चुनौतीपूर्ण कोविड अवधि के दौरान पूरा किया गया था।
यात्रा की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने मुझसे एक बात कही और यह बात पूरी यात्रा में मेरे साथ रही। पुलिस अधिकारी भी मेरी पूरी यात्रा के दौरान मेरे साथ रहे थे। उन्होंने कहा, “हमारे राज्य के बच्चे जानते हैं कि पिछले 30 वर्षों से सीमा-पार आतंक और उग्रवाद के कारण हम पीछे रह गए हैं। शेष भारत और दुनिया की तरह हम भी बेहतर जीवन चाहते हैं।”
मैंने एक नए सब-डिवीजन अस्पताल और चरार-ए-शरीफ दरगाह का दौरा किया तथा युवा कश्मीरियों, उद्यमियों, किसानों, सरपंचों और जनजातीय समुदाय के सदस्यों और इन जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें कीं। प्रत्येक बैठक में, बातचीत के विषय, उनकी मांग और उनके अनुरोध वर्तमान और भविष्य के सम्बन्ध में थे। कोई उन खोए हुए वर्षों को पीछे मुड़कर नहीं देख रहा था। उन्हें खोए हुए अवसरों पर पश्चाताप जरूर था।
जिन युवा छात्रों से मुझे बडगाम, बारामूला और श्रीनगर में बातचीत करने का मौका मिला, तो मैंने यह महसूस किया कि वे सभी अपने कौशल को बेहतर करने या नौकरी पाने के अवसरों में सुधार करने को लेकर गंभीर थे। चरार-ए-शरीफ में एसडीएच एक उच्च गुणवत्ता युक्त केंद्र है – सभी आधुनिक सुविधाओं मौजूद हैं, स्वास्थ्यकर्मियों की एक सक्षम टीम है और दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से जिला अस्पताल तक की लंबी कठिन यात्रा से लोगों को राहत मिली।
बडगाम डिग्री कॉलेज की एक बैठक में, पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्राओं ने बातचीत के क्रम में कहा, “हम अपने पॉलिटेक्निक में नए पाठ्यक्रम चाहते हैं – हम केवल मैकेनिकल और सिविल डिप्लोमा की बजाय इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर पाठ्यक्रम चाहते हैं।” वे उत्साहित और आश्वस्त थीं। मैंने जितने भी तकनीकी कॉलेजों को अब-तक देखा है, उनमें आईटीआई, बडगाम को शीर्ष पायदान पर रखा जा सकता है। इस कॉलेज में एक उत्कृष्ट मोटर वाहन रखरखाव प्रशिक्षण सुविधा है, जहां मैंने यहाँ छात्रों को प्रमाण पत्र सौंपे।प्रमाण पत्र पाने वालों में कई युवा छात्राएं थीं।
बातचीत में छात्रों ने अवसरों के लिए अनुरोध किया तथा ऑटोमोबाइल सहायक उद्योगों को जिले में स्थापित करने की बात कही, ताकि प्रशिक्षण के बाद रोजगार मिल सके। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने की उत्सुकता थी, क्योंकि वे महसूस करते हैं कि नरेन्द्र मोदी सरकार के रिकॉर्ड को देखते हुए यह घोषणा पिछली सरकारों से अलग होगी।
यह सुनिश्चित किया जायेगा कि 3 स्तरीय प्रणाली के माध्यम से, यह पैसा आर्थिक गतिविधि का विस्तार करेऔर / या सीधे लोगों तक पहुंचे। मैंने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी कौशल विकास को रोजगार का प्रवेश द्वार मानते हैं और रोजगार को कौशल विकास के साथ जोडऩे की जरूरत पर बल देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के विजऩ के बारे में जानकर छात्रवास्तव में उत्साहित हुए। दूसरे राज्यों की तरह यहां के युवा भी आईटी उद्योग के विकास में शामिल होना चाहते हैं, क्योंकि वे शेष भारत में प्रगति के बारे में पढ़ते और सुनते हैं।
मैंने बडगाम और बारामूला में दो पारंपरिक कौशल क्लस्टर का भी दौरा किया। यहाँ स्थानीय कारीगर कालीन, कागज़ की लुगदी और परिधानों का उत्पादन करते हैं तथा उद्यमी इनका निर्यात करते हैं। पिछले कई वर्षों में, इन उद्यमों के लिए जरूरी कार्य-कुशलता में और कारीगरों की संख्या में गिरावट आई है। इन सुन्दर उत्पादों का जम्मू-कश्मीर से वर्तमान निर्यात 600 करोड़ रुपये का है और दुनिया में मांग लगभग 10-15 हज़ार करोड़ रुपयों की है, जो करीब 25-30 लाख कारीगरों को रोजगार दे सकता है।
पारंपरिक कौशल से जुड़े उद्योग के सन्दर्भ में पीएम के विजन को ध्यान में रखते हुए, मैंने इन समूहों के विकास, उनके व्यापार और इन व्यवसायों को विकसित करने हेतु आवश्यक, कारीगरों के कौशल-विकास के लिए समर्थन देने का निर्णय लिया है। किसी भी बैठक में मेरे सामने सुरक्षा या आतंक का मुद्दा एक बार भी नहीं उठा। यह मेरे स्वयं के अनुभव के लिए उल्लेखनीय था। श्रीनगर का खतरनाक माने जाने वाला लाल चौक भी चहल-पहल से भरा हुआ था और रोज शाम को यहाँ तिरंगे की आभा फैलती थी।
मेरा मानना है कि एक राजनीतिक नेता के लिए सर्वोत्तम उपायों में से एक यह है कि वह अपने लोगों के दिल और दिमाग में कितनी अधिक आकांक्षा और महत्वाकांक्षा पैदा करता है। इस सन्दर्भ में, हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 75 वर्षों की तुलना में जम्मू-कश्मीर में आकांक्षाओं को एक नया प्रोत्साहन दिया है। निस्संदेह जम्मू-कश्मीर प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बलों ने बहुत प्रयास किये हैं, सेवा और बलिदान का उदाहरण प्रस्तुत किया है तथा लोगों को सुरक्षित रखने के लिए चौबीसों घंटे काम किया है।
ऐसे समय में जब हमारे पड़ोस और दुनिया के कई हिस्सों में, महिलाएं और युवा दमनकारी शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि निरंकुश शासन उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को नष्ट कर रहे हैं,पीएम मोदी सरकार दृढ़ संकल्प के साथ हमारे युवाओं को अधिक से अधिक सपने देखने और आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम बना रही है – सरकार की भूमिका, पूरे देश में हमारे युवाओं के लिए आशा और आकांक्षा की किरण बनना है, क्योंकि भारत अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष की ओर आगे बढ़ रहा है।
यात्रा के दौरान यह कहने में मुझे आनंद का अनुभव हुआ कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) का भाग्य 3 सामंती परिवारों और शायद एक केंद्रीय मंत्री द्वारा नियंत्रित किया जाता था। अब नरेन्द्र मोदी सरकार की पूरी ताकत है और 77 मंत्रियों की उनकी टीम, भारत के सभी लोगों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रही है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का प्रेरणादायी विचार, न्यू इंडिया को गति दे रहा है।