सरकार ने कैसे लाखों घरों तक पानी पहुंचाकर समृद्धि के जल-नल की शुरुआत की
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय मंत्री। Jal Jeevan Mission : मिजोरम में ल्वांगतलाई, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा, गुजरात में कच्छ और निकोबार द्वीप समूह एक-दूसरे से इतने दूर हैं और देश के चार कोनों में स्थित जिले हैं, फिर भी इनमें कौन-सी बात एक जैसी है? इन सभी स्थानों में एक बात समान है कि अगर आप इन लोगों के घरों में पानी मांगेंगे, तो वे गर्व के साथ, चेहरे पर मुस्कान लिए नये-नये लगाये गये नलों पर जायेंगे और आपकी प्यास बुझाने के लिये पानी ले आयेंगे।
ये ऐसे सीमावर्ती जिले हैं, जहां नक्शा बनाने वाले की कलम रुक जाती है और सैनिक की गश्त शुरू हो जाती है। ये स्थान पूरे देश में जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता के प्रतीक बन गये हैं। ये जिले हिमालय की ढलानों पर बसे छोटे-छोटे घरों से लेकर केरल के केले के बागों तक फैले हैं, जहां जल जीवन मिशन लोगों के जीवन की वास्तविकता बन चुकी है; एक ऐसी वास्तविकता जिसे शक्ल लेने में 70 वर्ष लग गए और जिसे दो वर्ष से भी कम समय में कार्यान्वित कर दिया गया।
यह सफर उस समय शुरू हुआ, जब माननीय प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से पहली बार कहा कि देश में कोई भी घर ऐसा नहीं रहेगा, जो पानी के पाइपों-नलों से न जुड़ा हो। यहीं से जल जीवन मिशन का बीजारोपण हुआ। अपनी मन की बात में उन्होंने जल को परमेश्वर और पारस के तुल्य बताया। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन की टीम जल पहुंचाने का काम करके परमात्मा को घरों तक पहुंचा रही है, जो मानवता की सेवा है और एक दिव्य कार्य है। फिर दो वर्षों के कठिन परिश्रम और पूरी लगन के साथ काम करते हुये भारत के 8.12 करोड़, यानी 42.46 प्रतिशत घरों में नल चालू हो गये।
पिछले 70 वर्षों के परिप्रेक्ष्य में संख्या को देखें, तो 3.23 करोड़ घरों में नल चालू हो चुके हैं। लेकिन यह काम सिर्फ दो वर्षों में हुआ है और इस दौरान जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) ने 4.92 करोड़ से अधिक घरों तक पानी पहुंचा दिया है। इस हिसाब से देखें तो 78 जिलों, 930 प्रखंडों, 56,696 पंचायतों और 1,13,005 गांवों में नलों से जल आपूर्ति शुरू हो गई है। इस संख्या और इस प्रगति को जब आंकड़ों के नजरिये से देखा जाये, तो ऐसा लगेगा जैसे कोई बैल (शेयर बाजार का बुल) दौड़ लगा रहा हो।
ये आंकड़े ऐसे हैं कि बड़े से बड़ा गणितज्ञ भी अचम्भित हो जायेगा और निवेशक उत्साह से भर उठेंगे। भारत के लोग इतने सख्त हैं कि सिर्फ आंकड़े दिखाकर उन्हें प्रभावित नहीं किया जा सकता। लेकिन, उनकी इस शंका के लिये उन्हें जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकता। आजादी मिलने के बाद 74 वसंत बीत चुके हैं। इस दौरान उन्होंने देखा कि तमाम नीतियां अपने रास्ते से भटक गईं, योजनायें बजट के कागजों पर तो उतरीं, लेकिन लोगों के जीवन में नहीं उतर पाईं। संख्या उन्हें प्रभावित नहीं कर सकती। वे अपनी आंखों से विकास देखना चाहते हैं, जो विश्वसनीय हो, प्रामाणिक हो और जो नजर आये।
अपनी जिम्मेदारी निभाने के सिलसिले में जल जीवन मिशन, देश के सामने कसौटी पर कसे जाने पर गर्व महसूस करता है। जल जीवन मिशन के डैशबोर्ड पर कोई भी अपने इलाके में रोज लगने वाले कनेक्शन के बारे में वास्तविक समय में जानकारी ले सकता है। लोग हर जिले, अपने खुद के गांव के बारे में जान सकते हैं। वे हर गांव के लाभार्थियों की सूची भी देख सकते हैं। इसके अलावा पानी की गुणवत्ता का अद्यतन विवरण, निर्मित जल संसाधनों की संख्या तथा गांव में जल उपयोगकर्ता समुदाय के सदस्यों और तकनीशियनों की जानकारी भी ले सकते हैं।
मिशन ने पानी की गुणवत्ता की जांच के लिये जो नियम बनाये हैं और जो संवेदी उपकरण लगाये हैं, वे विश्वस्तरीय हैं। आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता के बारे में लोग वास्तविक समय में जानकारी ले सकते हैं। यह पानी तमाम पैमानों से कई बार होकर गुजरता है, जिसे कोई भी देख सकता है। एक पंक्ति में कहा जाये, तो जल जीवन मिशन एक खुली किताब की तरह है, जिसे लोग देख सकते हैं, उसका आंकलन कर सकते हैं और यह राय बना सकते हैं कि प्रगति वास्तव में हुई है या नहीं।
जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत अब तक हासिल की गई अभूतपूर्व उपलब्धियों का उल्लेतख करते समय अक्समर एक अनूठी उपलब्धि की चर्चा नहीं की जाती है और वह है महिला सशक्तिकरण में इसका बहुमूल्यध योगदान। इससे जुड़ी अनगिनत सकारात्मसक बातें हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि इस मिशन ने महिलाओं को अत्या।वश्यनक पेयजल लाने के लिए लंबी-लंबी दूरियां तय करने की समस्या से मुक्ति दिला दी है। लेकिन समान रूप से इतनी ही अहम बात यह है कि इस मिशन ने रोजगार, कौशल और समाज में महिलाओं एवं पुरुषों की अब तक की जो मान्यइ भूमिकाएं रही हैं उनमें भी व्याकपक बदलाव ला दिया है।
सामुदायिक स्तरों पर महिलाओं के नेतृत्वउ करने या अग्रणी की भूमिकाएं निभाने का अवसर मिलने से ही यह सब संभव हो पाया है। इन महिला नेताओं को भी अब गांव एवं जल स्वच्छता समितियों में सदस्या बनाया जा रहा है जिनमें 50त्न सदस्यचता महिलाओं के लिए ही आरक्षित होती है। कई बार तो इन समितियों की कमान महिलाओं के ही हाथों में होती है और इस तरह से वे गांव में पेयजल आपूर्ति योजना की रूपरेखा तैयार करने से लेकर इसके कार्यान्वयन, प्रबंधन और संचालन तक के हर बारीक पहलू में स्वलयं को शामिल करती हैं।
इसके अलावा, हर गांव की 5 महिलाओं को जल की गुणवत्ता पर निरंतर पैनी नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है और कई महिलाओं को तो आवश्यहक कौशल प्रशिक्षण देकर प्लंबर, मैकेनिक, पंप ऑपरेटर, इत्याकदि भी बनाया जा रहा है। इन 2 वर्षों में महिलाओं को ये नई जिम्मेदारियां उठाने के लिए सक्रिय रूप से आगे बढ़ते हुए देखना निश्चित रूप से अत्यं त खुशी की बात है।
यही नहीं, इन अग्रणी महिलाओं का युवा लड़कियों के दिमाग पर जो व्या पक सकारात्म क असर पड़ेगा, वह वास्तव में काफी मायने रखता है। उनकी छाया में ही गांव की युवा लड़कियां बड़ी होंगी और फिर आने वाले समय में वे कई ऐसे कठिन कार्यों की भी जिम्मेुदारी बखूबी संभालने लगेंगी जो अब तक मुख्य त: पुरुष ही किया करते थे।
एक अनूठे अध्ययन ‘मेमेटिक्स’ में इस ओर ध्यान दिलाया गया है कि कुछ विचार या आइडिया दरअसल ‘लिविंग यूनिट्स’ की तरह काम करते हैं, जो पुनरुत्पादन करते हैं, कभी-कभी बस स्वसयं को दोहराते हैं, कभी-कभी अच्छीि तरह से विकसित होते हैं और फिर बहुत जल्दब जिस दुनिया में वे रहते हैं उसे एकदम से बदल देते हैं।