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Innovative Learning Program : सांस्कृतिक पुनरूद्धार का स्वर्णिम कालखंड

Innovative Learning Program : Golden Age of Cultural Revival

Innovative Learning Program

आशीष वशिष्ठ। Innovative Learning Program : 23 अक्टूबर, 2019 को प्रधनमंत्री नवोन्मेष शिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा था, कि भारत को एक वैज्ञानिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी सभ्यता को विकसित करने के लिए विज्ञान और संस्कृति दोनों आवश्यक रहे हैं। भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता तो 15 अगस्त 1947 को ही मिल गई किंतु भारत आज भी सांस्कृतिक परतंत्रता का शिकार है।

2014 में केंद्र में भाजपानीत एनडीए सरकार बनने के बाद से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने राजनीतिक विमर्श में केंद्रीय भूमिका में लाने का काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले आठ साल से देश में सांस्कृतिक पुनरुद्धार की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। इसी प्रयास के फलस्वरूप पिछले दिनों मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक शहर उज्जैन में मानो शिव-लोक अवतरित हो गया है। उसके कण-कण में महादेव का आभास हो रहा है, शिला-शिला पर शिव-शंभु की गाथाएं हैं, कण-कण में शंकर की उपस्थिति व्याप्त है। शिव अनश्वर, अविनाशी हैं और महाकाल के नियंता हैं।

कालखंड की सीमाएं (Innovative Learning Program) नहीं हैं, तो महाकाल महादेव के असीम देवत्व की कल्पना की जा सकती है। शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है। उज्जैन भी शिवमय हो उठा है, क्योंकि महाकाल के लोक को साकार करने के कलात्मक प्रयास किए गए हैं। वैसे भी प्रभु शिव उज्जैन और काल के राजा हैं। भारत-भूमि के, विभिन्न स्थलों पर, महादेव मौजूद हैं, लिहाजा भारतीय सभ्यता, संस्कृति, समृद्धि और साहित्य सदियों से अजर-अमर हैं।

अयोध्याजी में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर आकार ले रहा है, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में धर्म के अनुष्ठान जारी हैं, केदारनाथ-बद्रीनाथ के परिसंस्कार किए जा चुके हैं, सोमनाथ मंदिर में माता पार्वती का देव-स्थान बनाया गया है, माता कालिका के मंदिर का पुनरोत्थान किया गया है। इनके अलावा रामायण, कृष्ण, बौद्ध और तीर्थंकरों के सर्किट बनाने की तैयारी है। इन सभी तीर्थ-स्थलों की आत्मा में महादेव शिव विराजमान हैं। उज्जैन तो कालजयी महाकवि कालिदास, सम्राट विक्रमादित्य, बाल रूप में श्रीकृष्ण और महाकाल ज्योतिर्लिंग की पवित्र भूमि है। विगत जून के महीने में पुणे के देहू में नये तुकाराम महाराज मंदिर गुजरात के पावागढ़ मंदिर के ऊपर बने कालिका माता मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन भी पीएम मोदी ने किया है।

अध्यात्म और संस्कृति के अलावा, ऐसे तीर्थस्थल अर्थव्यवस्था के मजबूत आधार भी हैं। भारत में करीब 5 लाख मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था 3 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है और लाखों भारतीय इनसे जुड़े हैं। यह नेशनल सैंपल सर्वे संगठन का आंकड़ा है, जो भारत सरकार का ही एक हिस्सा है। उसके मुताबिक, मस्जिदों की संख्या भी करीब 7 लाख और गिरजाघर 35,000 के करीब हैं। जहां हिन्दू चार लाख से अधिक मंदिरों पर सरकारी कब्जा है, किंतु एक भी चर्च या मस्जिद पर राज्य का नियंत्रण नहीं है? हिंदू समाज के अलावा शेष सभी समुदाय अपने-अपने धर्मस्थान स्वयं चलाने के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ज्यादातर मंदिरों की स्थिति दयनीय है।

जो अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय ख्याति के धर्मस्थल हैं, उनका जीर्णोद्धार हो रहा है। दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं उन्होंने अपने धार्मिक स्थलों को बेहद खूबसूरत बनाकर दूसरे धर्मों में विश्वास रखने वालों को वहां आने प्रेरित किया है। उस लिहाज से वाराणसी और उज्जैन में क्रमश: विश्वनाथ कारीडोर और श्री महाकाल परिसर का सौन्दर्यीकरण करते हुए बिखरे पड़े पौराणिक महत्त्व के स्थलों को एक ही इकाई के रूप में परिवर्तित करना सराहनीय है। बेशक ऐसे प्रकल्पों पर अरबों का खर्च होता है लेकिन इसकी वजह से सम्बंधित स्थान पर आने वालों की संख्या बढने से न सिर्फ होटल और टैक्सी व्यवसायी अपितु स्थानीय दुकानदार भी अच्छी खासी कमाई करते हैं।

इन्टरनेट के कारण आजकल पर्यटन स्थलों की जानकारी आसानी से दुनिया में कहीं भी बैठे व्यक्ति को मिल जाती है। ट्रेवलिंग एजेंसी का कारोबार भी इसीलिये बढ़ता जा रहा है। लेकिन पर्याप्त ध्यान नहीं दिए जाने से दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे देशों से भी कम पर्यटक हमारे देश में आते हैं। केवल वाराणसी की ही चर्चा की जाय तो वाराणसी में केवल 4 चार वर्षों में 10 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से पर्यटकों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। साल 2028 तक भारत के ट्रेवल-टूरिज्म सेक्टर में जॉब के करीब एक करोड़ मौके बन सकते हैं। हर साल धार्मिक पर्यटन बढऩे की वजह से होटल इंडस्ट्री को काफी फायदा हो रहा है।

इक्सिगो की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि धार्मिक पर्यटन का चलन बढऩे की वजह से वाराणसी और पुरी में होटल की बुकिंग अन्य शहरों की तुलना में अधिक रही। पुरी और वाराणसी में पर्यटक सिर्फ धार्मिक यात्रा ही नहीं बल्कि योग रिट्रीट और आयुर्वेद स्पा का आनंद लेने जा रहे है।.सरकार की तरफ से प्रसाद, स्वदेश दर्शन, उड़ान जैसी योजना शुरू करने की वजह से भी देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ा है। इस वजह से अब इंटरनेशनल होटल चेन भी अब धार्मिक स्थल पर पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री ने उज्जैन में जो भाषण दिया है वह उनकी भारतीय सनातन संस्कृति के प्रति गहरी आस्था को बताने के लिए काफी है।

ये आस्था व्यक्तिगत नहीं है, इस आस्था में देश है, देशवासियों की भावनाएं हैं, जिसे वैश्विक पटल पर एक नई पहचान दिलाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी। प्रधानमंत्री जब कहते हैं कि किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम, विश्व पटल पर लहरा रहा होता है तो ये सिर्फ कहते नहीं, बल्कि करके कहते हैं, वे दुनिया को बताते हैं कि भारत के लिए धर्म का अर्थ है, हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प! हमारे संकल्पों का ध्येय है, विश्व का कल्याण, मानव मात्र की सेवा।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से आज भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है। भारतीय ऋषियों की देन ‘योग’ को आज दुनिया के 200 देश अंगीकार कर 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मना रहे हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आयोजित भव्य-दिव्य प्रयागराज कुंभ को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में पूरी दुनिया ने सराहा। हमारी आयुष विद्या विशेषकर आयुर्वेद को जैसी मान्यता (Innovative Learning Program) मिली, वह अद्भुत है।

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