दुर्ग | maternal mortality rate: शासकीय चंदूलाल चंद्राकर स्मृति मेडिकल कॉलेज कचाँदूर दुर्ग के स्किल लैब में में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे प्रसव (जचकी) के बाद होने वाले अत्यधिक रक्त श्राव ( पोस्ट पार्टम ब्लीडिंग) के कारण होने वाली माताओ की मृत्यु की दर को कम करने के प्रयास में स्त्री रोग विशेषज्ञयो व नर्सिंग स्टॉफ को विस्तृत जानकारी दी गई |
दुर्भाग्य वश कई बार जचकी के बाद जननी माँ की अकाल मृत्यु हो जाती है जिसकी दर 137 / 100000 की है जिससे नवजात बच्चे से माँ छिन जाती है जो कि बेहद दुखद होता है |
चदुलाल चंद्राकर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के स्त्री रोग विभाग प्रमुख डॉ अंजना चौधरी के निर्देशन में डॉ शिखा कश्यप व डॉ श्वेता रानी प्रसाद ने अपने व्याख्यान में बताया कि इस मृत्यु दर (मातृ मृत्यु दर ;MMR) में जचकी के दौरान कुछ सावधानियां रखने औऱ कुछ विशेष दवाओं की उचित मात्रा में प्रयोग करने से इस भयावह दुर्घटना से बचा जा सकता है |
सामान्य तौर पर ये रक्त स्त्राव या PPH जचकी के बाद बच्चे दानी से प्लेसेंटा औऱ नाल बाहर निकलने के लिए न सिकुड़ने से होता है औऱ इतना ज्यादा ख़ून बह जाता है कि प्रसूता की मृत्यु भी हो सकती है या तुरंत बड़ा ऑपरेशन कर बच्चा दानी ही निकालना तक पड़ सकता है |
इस अवसर पर छतीसगढ़ में बने विश्व स्तरीय “बलून टैम्पोनाड” उपकरण का प्रदर्शन किया गया औऱ उसे आसानी से उपलब्ध चीज़ो से सिर्फ़ लगभग ₹100/- में निर्मित करने का प्रशिक्षण भी दिया गया जिससे स्टॉफ इंटरन डॉक्टर या स्टॉफ नर्स इसे आसानी से बना सकें और प्रसूता माँ के जीवन की रक्षा की जा सके |