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Indian scientist ने न बनाई होती ये चीज तो न जाने और कितनों को मार देता कोरोना

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नई दिल्ली/नवप्रदेश। भारतीय वैज्ञानिक (indian scientist) की कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के उपचार में इस्तेमाल की जा रही दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) को बनाने में बड़ा योगदान है। रसायन शास्त्र के इस महान भारतीय वैज्ञानिक (indian scientist) का नाम है आचार्य प्रफ्फुल चंद रॉय (acharya prafull chandra roy) है।

भारतीय रसायन विज्ञान के जनक माने जानेवाले डॉ. रेे (acharya prafull chandra roy) ने वर्ष 1896 में पारद नाइट्रेट यौगिक का आविष्कार किया था जिससे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) दवा का निर्माण किया गया। आज विश्व में महामारी का रूप ले चुकी कोविड 19 का इलाज करने में इस दवा का इस्तेमाल किया का रहा है। और इससे कई मरीज भी ठीक हो रहे हैं।

कोविड-19 नया वायरस है जिसका अबतक तो न कोई टीका बना है और न ही इलाज की कोई विशेष दवा है। दुनियाभर के चिकित्सक कोरोना के इलाज के लिए इस दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्माता है।

देश की पहली फॉर्मास्युटिकल कंपनी भी बनाई

डॉ. रे ने वर्ष 1901 में बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की स्थापना कि थी, जो उस समय देश की पहली फार्मास्यूटिकल कंपनी थीं। यह कंपनी इस दवा की सबसे बड़ी निर्माता थी। दुुनियाभर में अभी इस दवा की कमी हो गई है और अमेरिका में इस बीमारी ने विकराल रूप ले लिया है। वहां भी इस दवा की कमी हो गई है।

अमेरिका भी मांग चुका भारत से ये दवा


अमेरिका भारत से यह दवा मंगाता रहा है। भारत ने हाल में अपनी घरेलू जरूरतों को देखते हुए इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में इस दवा की आपूर्ति को लेकर परोक्ष रूप से धमकी पर उतर आए थे। भारत ने कहा था कि वह घरेलू जरूरतों को पूरा होने के बाद पड़ोसी तथा अन्य देशों को इसकी आपूर्ति करेगा।

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