Indian Navy Himagiri Warship : भारत की समुद्री सुरक्षा को अब एक और अभेद्य कवच मिल गया है। भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक गाइडेड मिसाइल युद्धपोत ‘हिमगिरि’ गुरुवार को औपचारिक रूप से सौंपा गया। कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा निर्मित यह पोत Project 17A फ्रिगेट श्रृंखला का हिस्सा है और अब तक का सबसे एडवांस्ड वॉरशिप माना जा रहा है।
ब्रह्मोस और बराक-8 से लैस युद्धपोत
‘हिमगिरि’ की विशेषता इसकी मारक और रक्षात्मक क्षमताएं हैं। यह ब्रह्मोस एंटी-शिप और लैंड-अटैक क्रूज मिसाइलों तथा बराक-8 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम(Indian Navy Himagiri Warship) से लैस है, जो इसे हवा, सतह और पानी के भीतर से आने वाले खतरों से निपटने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा इसमें उन्नत AESA रडार, गहन स्वदेशी उपकरण, और मल्टी-मिशन कॉम्बैट सिस्टम भी हैं।
तकनीकी खासियतें और निर्माण लागत
लंबाई: 149 मीटर
वज़न: 6670 टन
चाल: डीजल इंजन और गैस टर्बाइन का संयोजन
स्टाफ क्षमता: 225 नौसैनिक व अधिकारी
लॉन्च तिथि: 14 दिसंबर 2020
निर्माण लागत (तीन युद्धपोतों के लिए): ₹21,833 करोड़
GRSE का ऐतिहासिक कीर्तिमान
‘हिमगिरि’, GRSE द्वारा निर्मित 801वां जहाज है। कंपनी अब तक 112 युद्धपोत बना चुकी है, जो देश में किसी भी शिपबिल्डिंग यार्ड द्वारा बनाया गया सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इसे पूर्वी नौसेना(Indian Navy Himagiri Warship) कमान के चीफ स्टाफ ऑफिसर (तकनीकी) रियर एडमिरल रवनीश सेठ ने स्वीकार किया।
रक्षा आत्मनिर्भरता की मिसाल
‘हिमगिरि’ में उच्च स्तर की स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, जो भारत की मेक इन इंडिया नीति और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है। इसके अलावा जहाज पर हेलिकॉप्टर संचालन के लिए समुचित उड़ान डेक भी मौजूद है।
भविष्य के निर्माण कार्य
GRSE वर्तमान में 15 युद्धपोतों(Indian Navy Himagiri Warship) के निर्माण पर कार्य कर रही है, जो चार विभिन्न श्रेणियों में हैं। इन जहाजों की डिलीवरी से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी।