नई दिल्ली, नवप्रदेश। भारत ने आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला बन गया है। भारत की आबादी 142।86 करोड़ पहुंच गई है जबकि चीन की जनसंख्या 142।57 करोड़ है। भारत की आबादी अब 29 लाख ज्यादा हो गई है।
यह पहली बार है कि भारत की जनसंख्या 1950 के बाद से चीन से आगे निकल गई है। संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल यह अनुमान लगाया था कि अगले साल तक भारत सबसे ज्यादा आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा।
अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18वीं सदी में आबादी 12 करोड़ के आसपास रही होगी। 1820 में भारत की आबादी 13।40 करोड़ के आसपास थी। 19वीं सदी तक भारत की आबादी ने 23 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया।
2001 में भारत की आबादी 100 करोड़ के पार चली गई। अभी भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास (India Largest Population) है। 2050 तक भारत की आबादी 166 करोड़ के आसपास होगी।
भारत में इनकी आबादी सबसे ज्यादा : रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 25 प्रतिशत आबादी 0 से 14 साल के बीच है। इसके अलावा 18 फ ीसदी लोग 10 से 19 की उम्र के हैं। 10 से 24 साल तक के लोगों की संख्या 26 प्रतिशत है।
वहीं 15 से 64 साल तक के लोगों की संख्या 68 प्रतिशत है और 65 से ऊपर के 7 प्रतिशत लोग हैं। चीन की बात करें तो 0 से 14 साल के बीच 17 प्रतिशत, 10 से 19 के बीच 12 प्रतिशत, 10 से 24 साल 18 प्रतिशत, 15 से 64 साल 69 प्रतिशत और 65 से ऊपर के लोगों की संख्या 14 प्रतिशत (India Largest Population) है।
इसलिए भारत में बढ़ती जा रही आबादी : भारत में आबादी बढऩे की तीन बड़े कारण हैं। पहला- शिशु मृत्यु दर में गिरावट यानी एक साल से कम उम्र के बच्चों की मौत घट रही है। दूसरा- नवजात मृत्यु दर में कमी यानी 28 दिन की उम्र तक के बच्चों की मौत में कमी आ रही है।
तीसरा- अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट कम होना यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों की संख्या घट रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हेल्थ मैनेजमेंट इन्फोर्मेशन सिस्टम की 2021-22 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में शिशु मृत्यु दर, नवजात मृत्यु दर और अंडर-5 मोर्टेलिटी रेट में गिरावट आ रही है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2012 में शिशु मृत्यु दर हर एक हजार बच्चों पर 42 थी, जो 2020 में घटकर 28 पर आ (India Largest Population) गई। यानी, 2012 में पैदा होने वाले हर एक बच्चों में से 42 एक साल भी नहीं जी पाते थे। इसी तरह प्रति हजार बच्चों पर नवजात मृत्यु दर भी 2012 में 29 थी जो अब घटकर 20 पर आ गई।
वहीं, हर एक हजार बच्चों पर अंडर-5 मोर्टेलिटी भी 2012 में 52 थी, जो 2020 में घटकर 32 हो गई है। दूसरी ओर चीन में जन्म दर कम हो रही है। चीन के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2022 में देश में जन्म दर प्रति हजार लोगों पर 6।77 थी, जबकि 2021 में ये 7।52 थी। 1949 के बाद ये पहली बार था जब चीन में जन्म दर में गिरावट आई।
78 देशों की आबादी के बराबर भारत में जन्म ले रहे बच्चे : संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग ढाई करोड़ बच्चों का जन्म होता है। वहीं, सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन में भारत की तुलना में लगभग आधे बच्चे पैदा होते हैं। 2022 में चीन में 95 लाख बच्चों का जन्म हुआ था।
2021 की तुलना में ये लगभग 10 फीसदी की गिरावट थी। भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में सालभर में 2।03 करोड़ से ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ। यानी, हर दिन औसतन 56 हजार बच्चे पैदा हुए। इससे पहले साल 2020-21 में दो करोड़ से कुछ ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ था।
इसका मतलब हुआ कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 1।32 लाख ज्यादा बच्चों का जन्म हुआ। ये आंकड़ा इसलिए भी चौंकाता है क्योंकि अगर दुनिया के 78 देशों की आबादी को जोड़ दिया जाए तो ये संख्या दो करोड़ से कुछ ज्यादा ही बैठती है।