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प्रसंगवश : कोविड के नि:शुल्क इलाज की घोषणा करे छग सरकार

Incidentally, Chhattisgarh government to announce free treatment of Covid,

Chhattisgarh government Covid treatment free

यशवंत धोटे

Chhattisgarh government Covid treatment free: टीकाकाकरण में आरक्षण को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई राज्य सरकार के लिए एक शानदार अवसर यह हो सकता है कि वह अब राज्य के सभी कोविड मरीजों के लिए आन्धप्रदेश और तमिलनाडु की तर्ज पर नि:शुल्क इलाज की घोषणा कर दें। साथ ही दूसरी लहर के जो मरीज प्रायवेट अस्पतालों की भारी भरकम फीस देकर घर लौटे हैं उन्हे भी राहत के नाम पर उनका पैसा लौटा दे तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता।

दरअसल राज्य बनने के बाद पहली कांगे्रस की निर्वाचित सरकार के बम्पर जनादेश वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सामाजिक न्याय का नया अवतार अीमाना जाता है। इसी के चलते सबसे पहले सत्ता सम्हालते ही राज्य की 54 फीसदी पिछड़ा वर्ग की आबादी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की घोषणा की थी हालाकि हाइकोर्ट के स्थगन के चलते उसपे अमल नही हो पा रहा हैं।

कमोवेश कुछ इसी तरह सरकार ने टीकाकरण (Chhattisgarh government Covid treatment free) को लेकर भी किया होगा लेकिन यह मामला भी हाइकोर्ट पंहुच गया और नए दिशा निर्देश के तहत अब टीकाकरण शुरू हो रहा हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि सैलाव के बाद की तबाही के व्यवस्थापन को लेकर सरकार की क्या कार्ययोजना हैं। आज राज्य में कोविड से मरने वालों की संख्या 10 हजार पार हो गई हैं।

1 लाख 31 हजार से अधिक मरीज अस्पतालों और होम आइसोलेशन में उपचार पा रहे है। गरीबो के लिए राज्य सरकार ने तो मुफ्त राशन की घोषणा कर दी है लेकिन मध्यम वर्ग के लिए ऐसी कोई राहत अब तक घोषित नही हुई हैं। हालाकिं संक्रमण रोकने मुख्यमंत्री अपने स्तर मानिटरिंग कर रहे है। इसी बीच कांग्रेेस और भाजपा के नेताओं की ओर से एक दूसरे पर राजनीति करने के आरोप भी लग रहे हैं। लेकिन जिन दलो की स्थापना ही राजनीति करने के लिए हुई है। उससे भजन, पूजन, कीर्तन, आरती की उम्मीद बेमानी होगी।

राज्य का विपक्ष सरकार को बराबर घेर तो रहा है लेकिन उनक ी ही पार्टी की केन्द्र सरकार से कोई मदद करने की हामी नही भर रहा है। यहा तक कि किसी ने प्रधानमंत्री या किसी मंत्री को पत्र तक नही लिखा।

गौरतलब है कि पौने तीन करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में विधानसभा में कांग्रेस को यदि बम्पर जनादेश दिया तो 6 महिने बाद उसी जनता ने नरेन्द मोदी के नाम पर लोकसभा चुनाव में 11 में से 9 सांसद चुनकर दिए और इस पूरे कोरोनाकाल में सासंदो की भूमिका मीनमेख निकालने के आलावा कुछ नही रही।

वैसे भी राज्य सरकार और केन्द्र के बीच बहुत से नीतिगत मामलों को लेकर परस्पर विरोधाभास रहा है लेकिन कोरोना के इस काल में राज्य सरकार को ही अपने संसाधनो के काम करना पड़ रहा हैं ।

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