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IAS Pallavi Verma : कहानी IAS पल्लवी वर्मा की, मां को था कैंसर, इतनी लड़ाइयां लड़कर बनी अफसर, जानें पूरी कहानी

नई दिल्ली, नवप्रदेश। पास करना कोई बच्चों का खेल नहीं है क्योंकि यह देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है। सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के लिए बहुत मेहनत और लगन की जरूरत होती है। ऐसी ही कहानी है आईएएस अफसर पल्लवी वर्मा की।

जिन्होंने यूपीएससी 2020 में 340 रैंक हासिल की।​​उनकी यह कहानी पूरी तरह से कड़ी मेहनत के आधार पर भाग्य बदलने का एक आदर्श उदाहरण है। प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा को पास करने में पल्लवी को 7 साल लग गए।

इंदौर में रहने वाली पल्लवी ने अपनी स्कूलिंग इंदौर से की है और बायोटेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है। वह अपने परिवार की पहली लड़की है जिन्हें यूनिवर्सिटी जाने और पढ़ने का सौभाग्य मिला है।

ग्रेजुएशन करने के बाद पल्लवी ने 10-11 महीने चेन्नई में सॉफ्टवेयर टेस्टर के तौर पर काम किया और 2013 के बाद वह पूरी तरह से सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में जुट गईं।

वह 2013 से 2020 तक परीक्षा में शामिल हुई। तीन बार प्रीलिम्स में फेल, तीन बार इंटरव्यू और एक बार मेन्स परीक्षा में पहुंचने पर भी सफलता नहीं मिली। हालांकि, 2020 में सातवें अटेंप्ट में 340वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनकर सफलता हासिल की।

हालांकि पल्लवी ने सातवें अटेंप्ट में यूपीएससी लिस्ट में अपना नाम पाया, लेकिन इस बार भी उन्हें किस्मत की कसौटी पर खरा उतरना पड़ा। जब वह 2020 की परीक्षा में बैठी थी, तब उसकी मां कैंसर से जूझ रही थीं और कीमोथेरेपी की प्रक्रिया से गुजर रही थीं।

माता-पिता को मुसीबत में देखना किसी भी बच्चे के लिए बहुत मुश्किल होता है, ऐसे मुश्किल वक्त में भी पल्लवी ने सब्र बनाए रखा और अपनी मां का ख्याल रखते हुए तैयारी करती रही।

बार-बार की असफलताओं से तंग आकर पल्लवी ने हार मानने का मन बना लिया, लेकिन उनके माता-पिता ही थे जो हौसला बढ़ाते रहे। हालांकि, उन्हें रिश्तेदारों के ताने भी सुनने पड़े थे।

2013 में, पल्लवी एग्जाम पैटर्न जाने बिना ही तैयारी में जुट गई थीं, जिसके कारण वह सफल नहीं हो पाई थीं। सातवें अटेंप्ट यानी 2020 में उन्होंने अपनी कमजोरियों को सुधारा और तैयारी की स्ट्रेटजी में बदलाव किया।

वे लाइब्रेरी जाकर टाइम टेबल बनाकर तैयारी करने लगीं। इन बदलावों और कड़ी मेहनत ने आखिरकार उन्हें सफल बनाया और उन्होंने IAS अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा किया।

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