नई दिल्ली। Afghan Crisis : तालिबान के देश पर कब्जा किए जाने के साथ ही अफगानिस्तान में भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अफगानी नागरिकों को दो वक्त का खाना खाने के लिए मजबूरन अपने घरों का सामना बेचना पड़ रहा है। अफगानिस्तान में लोगों की आर्थिक स्थिति इस कदर खराब हो चुकी है कि लोगों को देश भर में सड़कों के किनारे अपने घरेलू पुराने सामानों की बिक्री करते हुए देखा जा सकता है।
आरएफई/आरएल रेडियो आजादी की रिपोर्ट के अनुसार, काबुल के एक दुकानदार नेमातुल्लाह ने कहा, “कई लोग अपने पास जो कुछ भी मूल्यवान है, उसे बेच रहे हैं।” नेमातुल्लाह ने कहा, “लोग हताश हैं। न रोजगार है और न ही पैसा। लोगों के पास और कोई विकल्प नहीं है।”
लोग ऐसा अपने आपको जीवित रखने के लिए कर रहे हैं और वह प्रत्येक दिन अपने परिवार को भोजन खिलाने के लिए पर्याप्त कमाई का साधन नहीं होने पर अपनी जरूरतों के सामान को ही बेचने को मजबूर हैं। जबकि अन्य कुछ लोग ऐसे हैं, जो कि अपनी मातृभूमि और उसके नए कट्टरपंथी शासकों से भागने के लिए यह सामान बेचकर उस धन का उपयोग करना चाहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राजधानी काबुल में सैकड़ों अफगान धूल भरी सड़कों के किनारे खड़े हैं और अपनी छोटी-सी संपत्ति बेचने (Afghan Crisis) की पूरी कोशिश कर रहे हैं। कई लोग बेडशीट पर बर्तन, प्लेट और कप रखे हुए हैं, जबकि अन्य कुछ लोग फटे-पुराने गद्दे और पुराने गलीचे बेचने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि कोई उनका पुराना टेलीविजन या रेफ्रिजरेटर खरीदेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, हाजी अजीज एक बेरोजगार रसोइया है, जो काबुल शहर में एक व्यस्त सड़क पर बिक्री के लिए रसोई के बर्तनों के ढेर के पास खड़ा है और बिक्री का इंतजार कर रहा है। उससे बात की गई तो उसने बताया, “कोई नौकरी नहीं है और हमारे पास कोई पैसा भी नहीं बचा है।”
अजीज ने आगे कहा, “मैं हर वो चीज बेचने की कोशिश कर रहा हूं, जो बिक सकती है। मैं यह चीजें इसलिए बेचने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि अपने परिवार का पेट भर सकूं।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वह उन लाखों अफगानों में शामिल हैं, जो करीब 3.8 करोड़ लोगों की आबादी वाले एक गरीब, युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान पर तालिबान के तेजी से अधिकार करने के बाद आर्थिक झटके से जूझ रहे हैं।
कई व्यवसाय और स्टोर बंद हो चुके हैं। सरकारी कर्मचारी, जिनमें से कई छिप गए हैं, का भुगतान नहीं किया गया है। हजारों लोग बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन (Afghan Crisis) में खड़े हैं, क्योंकि सशस्त्र तालिबान लड़ाके व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
15 अगस्त को काबुल पर आतंकवादी समूह के कब्जे के बाद से, निवासियों को भोजन की बढ़ती कीमतों और नकदी की कमी का सामना करना पड़ा है। देश में महंगाई बढ़ी है और अफगानी राष्ट्रीय मुद्रा का मूल्य भी गिर गया है।