Hundred Percent Voting : देश में हर साल मतदान दिवस मनाया जाता है। निर्वाचन आयोग मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाता है किन्तु शत-प्रतिशत मतदान का सपना आज भी दिवास्वप्र बना हुआ है। पता नहीं कब शत-प्रतिशत मतदान हो पाएगा? नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में जरूर ८० से ९० प्रतिशत तक मतदान होता है, कहीं-कहीं तो शत-प्रतिशत मतदान भी हो जाता है लेकिन विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में औसतन ६० से ७० प्रतिशत ही मतदान हो पाता है।
जाहिर है विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में शत-प्रतिशत मतदान (Hundred Percent Voting) कराना एक बड़ी चुनौती है। उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों के लिए होने जा रहे विधानसभा चुनाव को मद्दनजर रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा सहित सभी राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे मतदाताओं को जागरूक करें और अधिकाधिक मतदान सुनिश्चित करें।
दरअसल विधानसभा और लोकसभा चुनाव पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की अपेक्षा बड़े चुनाव होते है और इन चुनावों के प्रति पार्टी कार्यकर्ता भी ईमानदारी से काम नहीं करते। यही वजह है कि अधिक मतदान नहीं हो पाता। भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन जहां तक मतदान का पश्र है तो आजादी के ७० सालों बाद भी मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता नहीं आ पाई है जबकि अब मतदान करना पहले की तुलना में अधिक आसान हो गया है।
ईवीएम के कारण मतदान जल्दी हो जाता है। अब मतदाताओं को कतरा में लगकर घंटो प्रतिक्षा नहीं करनी पड़ती। इसके बाद भी बहुत से लोग मतदान के दिए छुट्टी मनाते है और सैर सपाटे पर निकल जाते है। शत-प्रतिशत मतदान (Hundred Percent Voting) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब मतदान को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
इसके लिए सरकार को कारगर पहल करनी होगी। जो लोग मतदान नहीं करते उनको मिलने वाली तमाम शासकीय सुविधाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर देनी चाहिए। इस तरह के कड़े कदम उठाने से ही लोग मतदान के महत्व को समझेंगे।