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न्यायधानी में अपार संभावनाएं.. बिलासपुर होगा बहुत सुन्दर शहरः अमित कुमार

Chhattisgarh Bilaspur Municipal Corporation Commissioner, IAS Amit Kumar

Chhattisgarh Bilaspur Municipal Corporation Commissioner, IAS Amit Kumar

आवागमन सुगम बनाने ट्रैफिक डायवर्ट करने की योजना पर चल रहा काम, एक नया गौरवपथ का भी प्रस्ताव

नवप्रदेश/मुलाकात

बिलासपुर/नवप्रदेश। Chhattisgarh Bilaspur Municipal Corporation Commissioner, IAS Amit Kumar: बिलासपुर नगर निगम के कमिश्रर आईएएस अमित कुमार मानते हैं कि राज्य की राजधानी के विकास से किसी शहर के विकास की तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि राजधानी का विकास अवधारणा पर आधारित होता है जबकि किसी शहर का विकास उसकी बसाहट और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करता है। इस मामले में बिलासपुर बहुत संभावनाओं वाला शहर है और आने वाले समय में यह बहुत सुन्दर शहर होगा। कमिश्नर अमित कुमार ने कुछ ही महीनों में सड़क निर्माण, ट्रैफिक सुधार तथा अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई जेसे कई बड़े काम किए। महावीर नगर की नई सड़क पर आवागमन शुरू हो गया। इमलीपारा सड़क के चौड़ीकरण का काम, जो 17 वर्षों से अटका पड़ा था, वह भी शुरू हो चुका है। शहर के विकास पर दैनिक नव प्रदेश के उप संपादक विक्रम सिंह ठाकुर ने उनसे बातचीत की। यहां प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल- शहरीकरण जिस तेजी से बढ़ रहा है उम नजरिए से विलासपुर शहर के विकास को आप कैसे देखते है?
जवाब- शहरीकरण को मापने के दो पैमाने हैं। पहला ये कि किसी भी शहर में नागरिकों को मिलने वाली सुविधाएं कैसी हैं। इस पैमाने पर बिलासपुर काफी अच्छा है। (Chhattisgarh Bilaspur Municipal Corporation Commissioner, IAS Amit Kumar) यहां नागिरकों को मिलने वाली मूलभूत समेत अन्य सुविधाएं काफी बेहतर हैं । माफ-सफाई, पानी की उपलब्धता, ट्रांसपोर्ट सुविधा, सडक़ें आनलाइन लोक सेवा की सुविधा, बाजार, नागरिकों तक सभी सुविधाएं सहजता से पहुंच रही हैं और इन्हें और बेहतर बनाने के प्रयास हो रहे है। दूसरा पैमाना शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर है। विलासपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी परियोजना के अन्तर्गत इस क्षेत्र में काफी काम हुए हैं। इनमें सड़कें, आडिटोरियम स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिस्ट स्पाट, तालाबों का संवर्धन, लाइब्रेरी, गार्डन जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इसके अलावा और भी योजनाएं हैं, जिनसे आने वाले समय में विलासपुर की तस्वीर बदलेगी। मैं कह सकता हूं कि शहरी विकास में बिलासपुर भी कदम से कदम मिलाकर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सवाल- बिलासपुर राजधानी रायपुर के बाद छत्तीसगढ़ का दूसरा बड़ा शहर है, लेकिन लगता है कि शहर का एक बड़ा हिस्सा आज भी शहरी सुविधाओं की बाट ही जोह रहा है।
उत्तर- पहली बात तो रायपुर प्रदेश की राजधानी हैं, सिर्फ रायपुर हीं नहीं बल्कि किसी भी राजधानी से किसी भी शहर की तुलना नहीं हो सकती। राजधानी का विकास अवधारणा पर आधारित होता है। किसी शहर का विकास उसकी बसाहट और संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बिलासपुर बसाहट और संसाधन के मामले में बहुत संभावनाओं वाला शहर है। शहर के विकास के अनेक कार्य हुए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में नागरिक सुविधाओं के मामले में बहुत अच्छा और सुन्दर शहर होगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर हम आगे बढ़ रहे हैं।

सवाल- नगर निगम में शामिल नए क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने की क्या कोई नई कार्ययोजना तैयार की गई है ?
जवाब- नगर निगम (Chhattisgarh Bilaspur Municipal Corporation Commissioner, IAS Amit Kumar) में शामिल नए क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने लगातार कार्य किए जा रहे हैं। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुरू हो चुका है। अधोसरंचना विकास के तहत सड़कों का निर्माण, स्वच्छता के लिए नालियां बनाने के कार्य किए जा रहे हैं। लगभग 19 करोड़ की लागत से हम सडक़, नाली और बिजली के कार्य करने जा रहे हैं। नए क्षेत्रों में पीने का शुद्ध पानी, वार्डों में स्ट्रीट लाइट विस्तार आदि के कार्य हाथ में लिए गए हैं।

सवाल- शहर में सीवरेज परियोजना के काम ने सडक़ों का कबाड़ा कर दिया था। आज भी सडक़ों के गड्ढों से मुक्ति नहीं मिल पाई है।
उत्तर- अभी शहर में सीवरेज से संबधित किसी भी प्रकार के गड्ढे या डैमेज सडक़ों पर नहीं है। कुछ जगहों पर यदि काम चल रहा है तो वहां के काम खत्म होने के बाद गढ्डे भर दिए जाते हैं। शहर में जहां पाइपलाइन आदि बिछाने का काम चल रहा है वहां लोगों को समस्या हो सकती है। हमने तय कर रखा है कि इन कार्यों से जहां भी सड़कों को नुकसान हो, काम खत्म तभी माना जाए जब वहां की सड़क भी दुरूस्त कर ली जाए। आप देखेंगे कि जैसे ही काम खत्म होगा सड़कों पर गड्ढे दिखाई नहीं देंगे। सीवरेज शहर की बहुत बड़ी परियोजना थी। किसी समय इसके काम के दौरान समस्या रहती होगी, लेकिन आज सड़कों पर ऐसी कहीं कोई समस्या नहीं है। सड़कों की छोटी-मोटी समस्याएं को दूर करने का काम नियमित रूप से चल रहा है।

सवाल- बिलासपुर स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल है। बिलासपुर कितना स्मार्ट हुआ है?
जवाब- निश्चित तौर पर बिलासपुर स्मार्ट हुआ है। स्मार्ट सिटी बहुत ही महत्वकांक्षी परियोजना है, जिससे विलासपुर के विकास को एक नई गति मिली है। स्मार्ट सुविधाओं में इजाफा हुआ है। आईटीएमएस के जरिए ट्रैफिक, सुरक्षा और सूचना तंत्र को एक नया आयाम मिला है। जीआईएम सर्वे से शहर की वास्तविक जानकारी आज प्रशासन के पास है। स्मार्ट सडक़ें, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के तहत नई सड़कों का निर्माण, गार्डन, आईटी, आनलाइन सर्विस, ग्रीन एनर्जी, वाटर एनर्जी, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और खासकर अरपा नदी के संवर्धन की दिशा में स्मार्ट सिटी परियोजना के जरिए काम किया गया है और काम चल भी रहा है। इससे शहर की तस्वीर बदल रही है। आने वाले समय में स्मार्ट सिटी परियोजना का लाभ और भी नजर आएगा।

सवाल- नगर निगम कमिश्रर के रूप में आपने कुछ ही महीने में कई बड़े काम कर दिखाए।
महावीर नगर की सडक़ का काम तेजी से पूरा कराकर मंगला चौक की ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया, दूसरा इमलीपुरा सडक़ के चौड़ीकरण का 17 वर्षों से अटका पड़ा का शुरू हो चुका है, ये सब कितना कठिन था?
जवाब- थोड़ी बहुत कठिनाई तो सभी कामों में आती हैं, मगर सबका साथ, सहयोग और टीम स्पिरिट से हर काम आसान हो जाता है। ट्रैफिक को ठीक करने के लिए अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत है। शहर के मास्टर प्लान में रायपुर रोड से शहर से होकर मुंगेली रोड पर आने वाली ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए बायपास बनाने का प्रस्ताव है। यह एक बड़ा काम है। इस पर भी काम शुरू करने प्रक्रिया चल रही है।

इस बायपास के बन जाने से रायपुर से तखतपुर, मुंगेली की ओर आने -जाने वालों को शहर के बाहर ही बाहर निकलूं जाने की सुविधा मिल जाएगी। यह शहर का नया गौरवपथ होगा जो गौरवपथ -एक कहलाएगा। शहर मास्टर प्लान में इसका प्रस्ताव कियू गया है। शहर यातायात के नजरिए से यह गौरवपथ बहुत महत्वपूर्ण होगा। अभी शहर की मुख्य सड़कों पर यातायात का भारी दबाव रहता है। ट्रैफिक डायवर्ट कर इस दबाव को कम करने पर काम चल रहा है। महावीर नगर की नई सड़क पर आवागमन शुरू होने के बाद मंगला चौक से उसलापुर रेलवे ओवरब्रिज तक जाम की जो स्थिति रहती थी, अब नहीं है। इससे आसपास का सौन्दर्य भी बढ़ा है। इमलीपारा सड़क के चौड़ीकरण का काम पूरा होने के बाद लिंक रोड का दबाव भी कम होगा। पुराना बस स्टैंड चौक बहुत सुन्दर लगने लगेगा।

सवाल- तिफरा रेलवे ओवरब्रिज पर जिस समस्या के कारण फ्लाईओवर बनाना पड़ा, वैसी ही समस्या उसलापुर रेलवे ओवरब्रिज पर भी होने लगी है, यह कैसे दूर होगी।
जवाब- अभी हमने उस मार्ग पर एक नई सडक़ का निर्माण किया है, जिसे मिनोचा कालोनी सडक़ कहा जाता हैं। उससे काफी हद तक उस मार्ग पर ट्रैफिक के दबाव को व्यवस्थित किया गया है। रेलवे ओवरब्रिज जब कभी भी बनते हैं, तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उनकी डिजाइन बनती है। समय के साथ परिस्थितियां बदल जाती हैं। उसलापुर रेलवे ओवरब्रिज से जिले का एक बड़ा इलाका शहर से जुड़ता है। समय के साथ ओवरब्रिज पर यातायात का दबाव बढ़ता गया है। महावीर नगर नई सड़क खुलने के बाद दबाव थोड़ा कम हुई है पर यहां टू-वे ओवरब्रिज की जरूरत होगी।

सवाल- शहर के विकास कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं। सडक़ों का काम जिस गुणवत्ता से होना चाहिए, वैसी गुणवत्ता नजर नहीं आती, सकरी तक सड़क चौडीकरण का काम देखकर लगता है कि बरसात में सड़कों पर पानी जमा हो सकता है।
जवाब- विकास कार्यों की गुणवत्ता की लगातार मानिटरिंग की जाती है। गुणवत्ता को लेकर किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कार्य विशेष को लेकर अगर कहीं शिकायत प्राप्त होती है तो उस पर तत्काल हम जांच भी कराएंगे और संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई भी होगी। हमारी कोशिश है कि आम लोगों को बेहतर से बेहतर सुविधा मिले। विकास कार्यों से जुड़ी एजेंसियों से भी हम यही अपेक्षा करते हैं कि वे उच्च मानक के साथ काम करके दें। इसकी मानिटरिंग हमारी टीम करती है। जनता की शिकायतों पर गौर करना हमारा दायित्व है। सही मायने में काम का मूल्यांकन जनता ही करती है। शिकायतें जहां से भी आएं, उन्हें पूरी गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की जाएगी।

सवाल- शहरी संसाधनों का उपयोग रेलवे, एसईसीएल, एनटीपीसी जैसे उपक्रम भी करते हैं, शहर के विकास में इनका योगदान कितना है?
जवाब- शहर सबका है और सभी को इसके विकास में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। शहर एक बड़ा हिस्सा रेलवे क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र के विकास में रेलवे का अपना योगदान है। इसी तरह एसईसीएल और एनटीपीसी जैसे सार्वजनिक उपक्रम अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के अन्तर्गत शहर में नागरिक सुविधाओं के विकास में योगदान देते रहे हैं। शहर की जरूरतों को समझते हुए वे कहां कितना सहयोग कर सकते हैं, समय-समय पर इसकी चर्चा होती रहती है। पर्यावरण संरक्षण तथा इसी तरह के व्यापक हित के दूसरे मुद्दों पर वे अपनी भूमिका खुद भी तय कर सकते हैं।

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