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फिर जगी उम्मीदः चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम दिलाने मंगाए ओरिजन बॉन्ड पेपर

Gariaband chit fund companies expect return of lost money, investors, additional collector

Gariaband chit fund companies expect return of lost money, investors, additional collector

पिछली सरकार ने रकम वापस दिलाने 2021 में आवेदन जमा कराए थे, पर प्रक्रिया अधर में रही

जीवन एस साहू
गरियाबंद/नवप्रदेश।
Gariaband chit fund companies expect return of lost money, investors, additional collector: भविष्य सुरक्षित करने, बुढ़ापे के सहारे की उम्मीद में सालों तक खून-पशीने की कमाई को हजारों लोगों ने चिटफंड कंपनियों में लगा दिया। उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी कि कंपनी पूरा कारोबार समेट कर भाग जाएगी और भविष्य का सपना.. सपना ही रह जाएगा.. जी.. हां.. छत्तीसगढ़ में लोगों को ऐसा धोखा हुआ कि दशकों बाद भी लोग उस पीड़ा से उबर नहीं पाए हैं, सबकुछ डूब गया.. सारी कमाई पानी में चली गई।

निवेश से अधिक पैसे मिलने के लालच में डूबी रकम की दशकों बाद अब फिर से उम्मीद जगी है। चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम को वापस दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने फिर से अभियान शुरू किया है। इसके लिए निवेशकों से ओरिजन बांड पेपर मांगे जा रहे हैं, ताकि एफआईआर दर्ज कर रकम वापसी की प्रक्रिया पूरी की जा सके।

छत्तीसगढ़ में आए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा सहित 17 राज्य के 260 चिटफंड कंपनियों ने जिले के 93598 लोगों से 181 करोड़ से भी ज्यादा का निवेश करा लिया था। पिछली सरकार ने चिट फंड में डूबी रकम वापस कराने का वादा कर भूल गई थी, लेकिन अब जिला प्रशासन डूबी रकम को वापस दिलाने की प्रकिया शुरू कर दी है। अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय ने इसका बीड़ा उठाया है।

खामियों को शॉट आउट किया गया

मामले पर पांडेय ने कहा की डूबी रकम वापसी के प्रकरण में जो खामियां थी उसे शॉट आउट किया गया। (Gariaband chit fund companies expect return of lost money, investors, additional collector) प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने से पहले जिले के पांच अनुविभाग ने एसडीएम को निर्देश कर निवेशकों से निवेश रकम के बांड पेपर मंगाए गए हैं। इसी बांड के आधार पर चिटफंड कंपनियों के खिलाफ पहले प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी, फिर संबंधित फर्म की संपत्ति मामले में अटैच कर निवेश किए गए वास्तविक रकम की वापसी की जा सकेगी। पांडेय ने निवेशकों से अपील कर कहा है कि ओरिजनल बॉन्ड पेपर नजदीकी एसडीएम कार्यालय अथवा तहसील कार्यालय में जमा कराएं।

राजिम अनुविभाग में सबसे ज्यादा डूबे लोगों के पैसे

पिछली सरकार ने चिट फण्ड कंपनी से रकम वापस दिलाने वर्ष 2021 में आवेदन फार्म जमा कराए थे, जिसके मुताबिक गरियाबंद अनुविभाग में 15856 निवेशकों ने 24.38 करोड़, छुरा अनुविभाग में 19210 लोगों ने 17.90 करोड़, राजिम अनुविभाग में सर्वाधिक 37861 लोगों ने 118.26 करोड़, मैनपुर अनुविभाग में 16334 लोगों ने 14.31 करोड़ एवं देवभोग अनुविभाग में 6.83 करोड़ निवेश किया है।

ये परेशानी भी आ रही सामने

अपर कलेक्टर ने मामले पर कहा कि एक ही निवेश पर परिवार के अन्य लोगों ने भी दावा कर आवेदन कर दिया है। ओरिजनल बॉन्ड मंगाने से निवेशकों की संख्या व निवेश रकम में 20 से 30 फीसदी तक कमी आ जाएगी, जितना जल्दी बॉन्ड जमा होंगे, उतनी जल्दी वापसी की प्रकिया शुरू हो सकेगी।

जानिए वो 10 कम्पनियों के नाम जहां ज्यादा रकम हुए निवेश

प्राप्त जानकारी के मुताबिक (Gariaband chit fund companies expect return of lost money, investors, additional collector) सनसाईन इंफ्राबिल्ड दिल्ली ने 7555 निवेशकों से 9.12 करोड़, आरोग्य धन वर्षा डेवलपर उज्जैन ने 6129 निवेशकों से 7.75 करोड़, साई प्रसाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड पंजीम गोवा ने 5680 निवेशकों से 13.75 करोड़, एचबीएन फूड्स लिमिटेड ने 4635 निवेशकों से 11.70 करोड़, माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड ओडिशा ने 4568 से 10.46 लाख, पीएसीएल इंडिया लिमिटेड जयपुर राजस्थान ने 4980 निवेशकों से 10.15 करोड़, साई प्रकाश प्रोपर्टीज डेवलपर भोपाल ने 3316 लोगों से 7.6 करोड़, निजी निर्मल इंफ्रा होम ने 3869 से 15.74 करोड़, मिलियन माइल्स इंफ्रा ने 3635 निवेशकों से 8.73 करोड़ रुपए,
आरएमपीएल मार्किंग प्राइवेट लिमिटेड ने 6.58 करोड़ का निवेश कराने में सफल हुआ था।

लोगों को आकर्षक पैकेज पर बनाया था एजेंट

प्राप्त दावा आवेदन के मुताबिक 260 चिटफंड कंपनी ने 1 अरब 81 करोड़ 71 लाख 23561 रुपए लोगों से निवेश कराए। इसके लिए चेन प्लानिंग, डबल मनी के अलवा कृषि, फॉरेस्ट्री व अन्य आकर्षक योजनाओं का झांसा दिया गया। स्थानीय युवा, नामचीन चेहरे और प्रभावशाली लोगों को एजेंट बना कर एजेंटों को आकर्षक पैकेज का भुगतान किया गया था।

रकम वापसी के लिए निकाले रास्ते.. पर प्रॉपर्टी नहीं ढूंढ सकी सरकार

चिटफंड कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होते ही पुलिस ने मामले में संबंधित संस्थान की प्रापर्टी अटैच कर उसे न्यायालय की अनुमति से बेच देती, फिर उसी रकम को निवेशकों को वापस करती, लेकिन जिले में नहीं बल्कि राज्य भर में 95 फीसदी संस्थाओं की प्रापर्टी का सरकार पता नहीं लगा सकी। ज्यादातर चिटफंड कंपनी दूसरे राज्यों के हैं। प्रदेश में कुछ ही कंपनी के जवाबदारों पर कार्रवाई हुई। निवेश लिए गए, पर रकम की आधी भी प्रॉपर्टी नहीं मिली लिहाजा रकम वापसी भी अधूरी हो पाई।

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