-होलिका जलाना सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि इसके पीछे का मतलब जानना भी जरूरी है!
Holi 2024: होली का त्योहार 24 मार्च 2024 को है। हर साल होली के मौके पर हम होलिकादहन करते हैं। इसके पीछे की पौराणिक कथा भी हम सभी जानते हैं। लेकिन, मन में सवाल उठता है कि होलिका ने प्रह्लाद जैसे भक्त को जलाने की कोशिश की थी, फिर हजारों सालों से होलिका की पूजा करने की प्रथा क्यों है? क्या हम अनजाने में ग़लत चीज़ का समर्थन कर रहे हैं? होली पर क्यों याद आती है होलिका राक्षसिनी?
होलिका को वरदान है कि यदि वह सज्जन लोगों को हानि नहीं पहुंचाएगी तो आग उसे नहीं जला पाएगी। लेकिन हिरण्यकश्यप के अनुरोध पर उसने भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए उसे अपनी गोद में ले लिया। उस दिन नगर के सभी लोगों ने अपने घरों में आग जलाकर प्रार्थना की कि इससे प्रह्लाद न जलें।
प्रह्लाद को बचाने के इरादे से शुरू की गई घरेलू अग्नि पूजा धीरे-धीरे सामुदायिक पूजा में बदल गई और यही कारण है कि आज मनाई जाने वाली होलिका पूजा आदर्श बन गई। दूसरे शब्दों में कहें तो यह पूजा होलिका नामक राक्षसी की नहीं है, बल्कि सामुदायिक अग्नि पूजा से प्रह्लाद को जो शक्ति और तेज प्राप्त हुआ था, वह होलिका के अवसर पर प्राप्त हुआ था।
इस अर्थ में होलिका पूजन (Holi 2024) लोगों के हृदय में असुर वृत्ति के विनाश के साथ-साथ सद्वृत्ति के संरक्षण के लिए शुभ भावनाओं का प्रतीक है। इसलिए हम उन्हें माँ कहते हैं और जैसे एक माँ अपने सभी पापों को अपने उपर ले लेती है, होलिका माता उनके सभी पापों को अपने उपर ले लेती है और उन्हें जला देती है। इसलिए हर्षोल्लास के साथ होलिकादहन किया जाता है।
खुश लोग होलिका दहन (Holi 2024) मनाते हैं। खुशी के माहौल में रंगे लोग एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगाने लगे। इस त्यौहार में आसमान के रंग और धरती की धूल का मेल होता है। महल और झोपड़ी में रहने वाले लोग छोटे-बड़े मतभेद भूलकर एक साथ होलिका दहन और रंग गुलाल लगाने की प्रचलन बढऩे लगा।
होली में सिर्फ बेकार वस्तुओं या लकडिय़ों को ही नहीं जलाना चाहिए, बल्कि हमारे जीवन में जो झूठे विचार हैं, जो हमें परेशान कर रहे हैं, उन्हें भी जलाना चाहिए। संघ निष्ठा को कमजोर करने वाले झूठे तर्कों को इसे होली में जला देना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं के सम्मान के साथ होली खेलनी चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि त्योहार में हुड़दंग नहीं होना चाहिए।