Historical Place Joshimath : उत्तराखण्ड के एतिहासिक धार्मिक स्थल जोशी मठ पर कुदरत का जो कहर टूटा है उससे वहां के २० हजारे से भी ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है। जोशी मठ के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे है। शासन प्रशासन के लिए जोशी मठ को बचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है। गौरतलब है कि जोशी मठ उत्तराखण्ड के बेहद डेंजर जोन में आता है। यह एक भुकंपीय क्षेत्र है और यहां की मिट्टी भी कमजोर है। ऊपर से यहां सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर बेतरतीब ढंग से बसाहट हो गई है। यही वजह है कि प्राकृतिक आपदा आ गई है और लगभग ७२३ घरों में दरारें पड़ चुकी है और कई घरों के तो पिल्लर व दिवरे भी धाराशाई हो रही है।
ऐसे सभी घरों को खतरनाक घोषित करते हुए वह पूरा इलाका सील कर दिया गया है। अब तक वहां से सौ से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करा दिया गया है और बाकी लोगों से भी घर खाली करने की अपील की जा रही है। दो बहुमंजीली होटलों को गिराने की तैयारी की जा रही है लेकिन स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे है। जिन आवासों में दरारे पड़ी है वे लोग मुआवजें की मांग पर अड़े हुए है। शासन ने फिलहाल ऐसे सभी लोगों को डेढ़ लाख रूपए का अंतरिम मुआवजा देने की घोषणा की है। शिफ्टिंग का भी उन्हे अलग मुआवजा दिया जाएगा और जल्द ही राहत पैकेज घोषित किए जाएंगे। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है, देखना होगा कि इस पर सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय देता है।
जहां तक जोशी मठ के प्रभावित लोगों की बात है तो उनका कहना सही है कि शासन प्रभावित लोगों को पर्याप्त मुआवजा दे। क्योंकि मात्र डेढ़ लाख रूपए में वे अपना नया घर आखिर कैसे बनवा पाएंगे। शासन प्रशासन को लोगों की इस मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार कर तत्काल मुआवजा बढ़ाना चाहिए। जोशी मठ में टूटे प्राकृतिक प्रकोप को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए और केन्द्र सरकार को भी जोशी मठ के प्रभावित लोगों की हर संभव मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाने चाहिए।
इस कड़कड़ाती ठंड में जोशी मठ के जो परिवार बेघर हुए है मानवीय दृष्टि से उनकी सहायता के लिए स्वयं सेवी संगठनों को भी आगे आना चाहिए। तभी सरकार इस चुनौती का सामना करने में सफल हो पाएगी। उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हर पल बिगड़ रहे हैं. सैकड़ों लोगों को अभी तक खतरनाक इमारतों से रेस्क्यू किया जा चुका है. अभी तक 700 से ज्यादा घरों में दरारें देखी गई हैं और जमीन धंसने की खबरें आ रही हैं. वहीं, 86 घरों को असुरक्षित चिह्नित किया गया है.
इसके अलावा, 100 से ज्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा चुका है. अब प्रशासन की तैयारी है कि खतरनाक इमारतों (होटलों और घरों) को गिराया जाए. हालांकि, प्रशासन की तैयारी के बीच भूस्खलन से गांधीनगर और पालिका मारवाड़ी में बने मकानों में दरारें नजर आने लगी हैं. अधिकारियों के मुताबिक, गांधीनगर में 134 और पालिका मारवाड़ी में 35 घरों में दरारें आ गई हैं।