Site icon Navpradesh

BREAKING : रामकृष्ण में कोरोना के गोरखधंधे का विदेशी नागरिक भी हुआ शिकार

high court notice to ramkrishna, american citizen file case against ramkrishna, bilaspur high court,

high court notice to ramkrishna

HC Notice to Ramkrishna: हाईकोर्ट ने रामकृष्ण अस्पताल और होटल बेबीलॉन को जारी किया नोटिस, तीन हफ्ते में मांगा जवाब

संक्षिप्त में ऐसे समझें मामला (जैसा कि अमेरिकी नागरिक जॉन जोसेफ के वकील मयंक चंद्राकर ने नवप्रदेश को बताया)

बिलासपुर/रायपुर/नवप्रदेश। High court notice to ramkrishna : राजधानी के प्रतिष्ठित रामकृष्ण अस्पताल में कोरोना के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का शिकार अब विदेशी नागरिक भी हो गया। पूरा मामला अगस्त माह का है। पीडि़त का नाम अमेरिका निवासी जॉन जोसेफ है, जिन्होंंने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट (high court notice to ramkrishna) में रामकृष्ण व होटल बेबीलॉन के खिलाफ अधिवक्ता मयंक चंद्राकर के जरिए मुकदमा दायर कर पांच करोड़ का मुआवज मांगा है। जिस पर हाईकोर्ट ने दोनों प्रतिवादियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

Layer mayank chandrakar

मयंक चंद्राकर ने इस मामले में नवप्रदेश को बताया कि जॉन जोसेफ को महासमुंद में स्थानीय अथॉरिटी द्वारा की गई जांच में कोरोना पॉजिटिव बताए जाने पर जोसेफ अपनी पत्नी व बच्चे के साथ रामकृष्ण अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे। अस्पताल द्वारा उन्हें बताया गया कि बेड खाली नहीं रहने की वजह से उन्हें अस्पताल के बेबीलॉन होटल में बने आइसोलेशन सेंटर में रहकर इलाज कराना पड़ेगा। अस्पताल के चिकित्सकों की सलाह पर वे बेबीलॉन होटल में भर्ती हो गए।

20 अगस्त को रामकृष्ण द्वारा उन्हें बताया गया उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जबकि पत्नी व बच्चा निगेटिव है। लेकिन कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट नहीं दिखाई। यही नहंी अस्पताल द्वारा कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर पत्नी व बच्चे को जॉन के रूम में रख दिया गया। और तीनों के नाम से बिल बना दिया। 25 अगस्त को जब जॉन ने रिपोर्ट नहीं दिए जाने व लगातार बढ़ रहे बिल को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें यह कहा गया कि अब वे घर में भी क्वारंटाइन रह सकते हैं और उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है।

High Court Notice to Ramkrishna : महासमुंद में है ससुराल


उल्लेखनीय है जॉन पिछले माह नवंबर में महासमुंद के सरायपाली स्थित अपनी ससुराल आए थे। इस बीच मार्च में लॉकडाउन लगने के कारण वे वीजा एक्सटेंसन के लिए मुंबई गए। मुंबई से महासमुंद लौटने पर स्थानीय अधिकारियों ने उनकी कोरोना जांच कराई थी, जिसमें उनका पॉजिटिव बताया गया था। लेकिन तब भी रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी गई थी सिर्फ एक फॉर्म भरवाया गया था।

शिकायत की बात की तो थाने में एफआईआर

अधिवक्ता मयंक के मुताबिक जॉन ने अस्पताल का 1 लाख 80 हजार रुपए का बिल चुका दिया। उन्होंने अस्पताल के खिलाफ शिकायत करने की भी बात की। जिस पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा तेलीबांधा थाने में जॉन जोसेफ के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करा दी। बकौल मयंक पुलिस ने भी बड़े अस्पताल की शिकायत सही होगी समझ जॉन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी। एफआईआर में बताया गया कि जॉन ने अस्पताल का 1 लाख 80 हजार रुपए का बिल नहीं चुकाया और जबर्दस्ती आइसोलेशन सेंटर से चले गए और अब वे समाज मेंं कोरोना फैला रहे हैं। लिहाजा जॉन के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत भी पुलिस ने केस दर्ज कर दिया।

पुलिस पहुंची तो घर मालिक ने रात को ही खाली करा दिया


इस मामले के दौरान जॉन जोसेफ अपने परिवार समेत मोवा में एक किराए के घर में क्वारंटाइन में रह रहे थे। पुलिस एक दिन यहां उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पहुंच गई। लेकिन जब जॉन ने उन्हें अस्पताल
के चुकाए गए बिल की कॉपी दिखाई तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। वहीं जब घर मालिक ने देखा कि जॉन का पुलिस में मामला चल रहा है तो उन्होंने तीनों को रात को ही घर खाली करवा दिया। उच्च अधिकारियों से शिकायत पर पुलिस ने जॉन को सूचित किया उनके खिलाफ जांच में कुछ नहीं पाया गया है इसलिए उनके खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता की ये है मांग

याचिकाकर्ता ने अपनी हाईकोर्ट (highcourt notice to ramkrishna) में लगाई अपनी अर्जी में मांग की है कि ्ररामकृष्ण अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जाए। उनकी जो छवि धूमिल हुई है उसके मुआवजे के रूप में उन्हें अस्पताल प्रबंधन द्वारा 5 करोड़ रुपए दिए जाए। पुलिस अथॉरिटी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। संविधान द्वारा नागरिकों को अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों के उल्लंघन को दिशा निर्देश जारी किए जाए।

अस्पताल ने पहले दिया था ये जवाब

इस पूरे मामले से क्षुब्ध जॉन ने पहले तो रायपुर के ही एक वकील के जरिए रामकृष्ण व बेबीलॉन को नोटिस भेजा, जिसके जवाब में दोनों प्रतिवादियों की ओर से बताया गया कि उनकी ओर से मरीज के साथ कुछ भी गलत नहीं किया गया। इसके बाद जॉन, उनकी पत्नी व बच्चे की ओर से मयंक चंद्राकर के मार्फत हाईकोर्ट (high court notice to ramkrishna) में रामकृष्ण व बेबीलॉन के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया। इस पर गंभीरता से विचार करते हुए अब हाईकोर्ट ने रामकृष्ण व बेबीलॉन से तीन हफ्तों में जवाब मांगा है।


कोर्ट में मामला विचाराधीन है। अभी कुछ भी साबित नहीं हुआ है। हमारी ओर से जवाब दिया जाएगा।
-डॉ. संदीप दवे, डायरेक्टर, रामकृष्ण अस्पताल, रायपुर

Exit mobile version