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High Court angry: यदि मुख्यमंत्री निर्णय नहीं ले सकते तो हमें शपथ पत्र के माध्यम से बताएं..

Decision Of Bilaspur High Court :

Decision Of Bilaspur High Court :

-आदेश के बावजूद निर्णय न होना चौंकाने वाला; शहीद की पत्नी को लाभ नहीं देने का मामला

मुंबई। High Court angry: उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए एक मेजर की विधवा पत्नी को सरकारी नीति के तहत ‘विशेष मामले’ के रूप में लाभ देने का आदेश दिया है। चौंकाने वाली बात है कि आदेश देने के बावजूद मुख्यमंत्री ने कोई निर्णय नहीं लिया। मुख्यमंत्री फैसला नहीं ले सकते तो हम संभालेंगे मामला, हाईकोर्ट ने सरकार से जताई नाराजगी।

हम सरकार के रुख से स्तब्ध हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हम सरकार के रुख से खुश नहीं हैं। गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति, फिरदोश पुनीवाला की पीठ ने सरकार से नाराजगी जताई। शहीद मेजर अनुज सूद की पत्नी आकृति सूद ने 2019 और 2020 की दो सरकारी अधिसूचनाओं के तहत लाभ की मांग करते हुए उच्च न्यायालय (High Court angry) में याचिका दायर की। पीठ शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

2 मई 2020 को आतंकवादियों के ठिकाने से नागरिकों को बचाते समय मेजर सूद शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्यचक्र से सम्मानित किया गया। केवल वे नागरिक जो महाराष्ट्र में पैदा हुए हैं या जो 15 वर्षों से महाराष्ट्र में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं, वित्तीय लाभ और भत्ते के लिए पात्र हैं। राज्य सरकार ने अदालत में यह पक्ष रखा कि सूद महाराष्ट्र के निवासी नहीं हैं और अपने परिवार को लाभ नहीं दे सकते। हमें सही रणनीतिक निर्णय लेना होगा। उसके लिए कैबिनेट की बैठक बुलानी होगी और फिलहाल कैबिनेट नहीं बैठेगी।

पीठ ने राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष जताया। कोर्ट (High Court angry) ने नाराजगी भरे लहजे में कहा, हर बार फैसला न लेने के लिए कोई न कोई बहाना दिया जाता है। किसी ने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया और आप (सरकार) इस तरह का व्यवहार करते हैं, हम इस फैसले से खुश नहीं हैं। गिरीश कुलकर्णी ने कहा हमने मुख्यमंत्री से इस संबंध में निर्णय लेने का अनुरोध किया।

उन्हें निर्णय लेना था यदि वे कोई निर्णय नहीं ले पा रहे है या उनके लिए निर्णय लेना अनुचित होगा, तो हमें बताएं। अदालत ने मुख्यमंत्री से कहा- हम इस मामले को निपटेंगे। कोर्ट ने सरकार को 17 अप्रैल तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि हम इस मामले को निपटेंगे।

आप जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। अब आप कहते हैं कि कैबिनेट की बैठक होनी है और कैबिनेट बैठने वाली नहीं है। यह काम नहीं करेगा। हमें सरकार से बेहतर की उम्मीद थी। यदि मुख्यमंत्री निर्णय लेने में असमर्थ हैं तो हमें शपथ पत्र के माध्यम से बताएं। – उच्च न्यायालय

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