मंगलवार सुबह सीमावर्ती प्रदेश में हुई एक बड़ी मुठभेड़ (Hidma Encounter News) में कुख्यात माओवादी नेता हिड़मा अपनी पत्नी समेत ढेर हो गया। क्षेत्र की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। जैसे ही यह जानकारी सुकमा मुख्यालय पहुँची, दोपहर लगभग 1 बजे से शहर में जमकर आतिशबाजी शुरू हो गई। लोगों के चेहरे पर लंबे समय बाद राहत और उत्साह दिखा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हिड़मा की मौत बस्तर के लिए नए अध्याय की शुरुआत है। समाजसेवी फारुख अली ने बताया कि हिड़मा और उसकी पत्नी की मौत “आतंक के अंत” के रूप में देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्षों से दक्षिण बस्तर में किए गए हमलों में हिड़मा की सीधी भूमिका रही कई निर्दोष ग्रामीणों और जवानों की जान गई, कई परिवार उजड़े, लोगों में भय का वातावरण बना रहा।
वकील कैलाश जैन ने कहा कि हिड़मा की सक्रियता के कारण दक्षिण बस्तर में विकास कार्य लगभग ठप हो गए थे। सड़क निर्माण से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार तक, हर कदम पर माओवाद बाधा डालता रहा। उन्होंने कहा कि अब “माओवादी गतिविधियों का कमजोर होना (Bastar Maoism Impact)” पूरे क्षेत्र के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है।
जिला मुख्यालय में आतिशबाजी के दौरान लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाते दिखे। कई युवाओं ने कहा कि अब बस्तर में शांति, विकास और निवेश के नए अवसर खुलेंगे। प्रशासन ने भी कहा है कि हिड़मा के मारे जाने से सुरक्षा अभियान को और मजबूती मिलेगी तथा स्थानीय जनता में विश्वास बढ़ेगा। कुल मिलाकर, हिड़मा की मौत ने बस्तर में एक नया माहौल पैदा किया है डर की जगह उत्साह, और संघर्ष की जगह शांति व विकास की उम्मीद दिख रही है।

