गिरिडीह, नवप्रदेश। झारखंड मुक्ति मोर्चा के 50वें स्थापना दिवस में शामिल होने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गिरिडीह पहुंचे। इस दौरान हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एलआईसी डूब रहा है। बैंक भी दिवालिया हो रहा है।
ऐसे में सभी लोग बैंक से पैसा निकाल कर खटिया के नीचे रख लें क्योंकि बैंक डूबने वाला है, क्योंकि केंद्र की सरकार पूंजी पतियों की सरकार (Hemant Soren In Giridih) है।
आगे उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार आदिवासियों व मूलवासियों के हित में कार्य कर रही है. राज्य के हर वर्ग के विकास को लेकर कई विकास की योजनाएं क्रियान्वित है। झारखंङ सरकार की विकास कार्यो को देख कर कई ताकतें राज्य सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई है।
दरअसल यह बातें, हेमंत सोरेन ने शनिवार को झंडा मैदान में गिरिडीह जिला झामुमो के 50वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 1973 में दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने आधिकारिक रूप से झामुमो की स्थापना की थी इसमें बिनोद बिहारी महतो व एके राय ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (Hemant Soren In Giridih) थी।
यह गौरव की बात है कि झारखंड रूपी पेड़ के जड़ को आज पानी देने का मौका मिल रहा है। हेमंत सोरेन ने कहा कि यह सरकार आदिवासियों व मूलवासियों की रक्षा कर रही है। झारखंड आंदोलनकारियों के बूते इस पेड़ को इतना बड़ा किया गया कि आज आदिवासी व मूलवासी इस पेड़ की छांव में सुरक्षित व खुशहाल जीवन जीने को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अलग झारझंड राज्य की लड़ाई में कई लोग शहीद हुए. आदिवासियों व मूलवासियों के हक अधिकार के लिए तिलका मांझी, बिरसा मुंङा, सिधो-कान्हो, बिनोद बिहारी महतो, एके राय, शिबू सोरेन जैसे नायकों का स्वर्णिम इतिहास रहा (Hemant Soren In Giridih) है।
जब लोग देश के आजाद होने का सपना नहीं देखते थे उस वक्त हमारे पूर्वजों ने जल-जंगल जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया। संघर्ष हमारी परंपरा रही है और आज भी हम कई ताकतों के खिलाफ संघर्ष कर रहे है। उन्होंने कहा कि अत्याचार, शोषण व चुनौती के खिलाफ झारखंङी कभी घबराये नहीं, बल्कि उन चुनौतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
विदेशी ताकतें जब हमलावर हुई तो झारखंड के लोगों को बचाने के लिए सीएनटी-एसपीटी कानून बना। लेकिन पूंजीपति वर्ग इस कवच को तोङने की कोशिश में हमेशा से जुटे रहे. इसके खिलाफ राज्य सरकार काफी गंभीर है
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के आंदोलन को लेकर पूर्वजों के संघर्षशील बलिदान पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। जब जनहित में आंदोलन किया जाता तो उन्हें उग्रवादी या आंतकी कहा जाता था। यहां तक तो कई को मार भी दिया गया। यह दर्द आज भी सीने में है।
सोरेन ने कहा कि आदिवासी, दलित, पिछड़ा व अल्पसंख्यक हक की लड़ाई लड़ते हैं तो पूंजीपति व सामंती ताकतें उन पर अत्याचार करती है और आंदोलन को असंवैधानिक बनाने का प्रयास करती है।
पूर्वजों के सपनों को साकार करने तक संघर्ष करना है। उन्होंने भाजपा का नाम लिये बगैर कहा कि बाबूलाल मरांडी एवं अर्जुन मुंडा ने लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम किया है।