चाईबासा, नवप्रदेश। सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन ने अपनी खतियानी जोहार यात्रा के दौरान चाईबासा में कहा कि हरा राशन कार्ड लेकर गरीब परेशान हैं और केंद्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।
भारत सरकार की एफसीआई से अनाज मांगा था, लेकिन नहीं (Hemant Soren In Chaibasa) दिया। अब बाजार से राशन खरीद कर गरीबों में बांटा जायेगा, जिसके लिए जिला प्रशासन को निर्देश दे दिया है।
झारखंड को आदिवासी-मूलवासी चलाएंगे
मंगलवार को खुटकट्टी मैदान में हजारों की भीड़ की मौजूदगी में भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो 1932 की बात करेगा, वही यहां राज करेगा। झारखंड को बाहर के लोग नहीं चलायेंगे, यहीं के आदिवासी-मूलवासी चलायेंगे।
कहा, 1932 का कानून बनाया तो कमल छाप वाले यूपी-बिहार से आदमी लगाकर कानून को रद्द करवाने का काम कर रहे हैं। लेकिन, वह अब एक ऐसा जाल लगाने वाले हैं, जिससे बाहर के लोग पार नहीं हो (Hemant Soren In Chaibasa) सकेंगे।
केंद्रीय एजेंसियों के जरिए डराने की कोशिश
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि 2024 में राजनीतिक चुनौती देख डर से केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों को पीछे लगाने का काम कर रही है। उन्हें परेशान जरूर किया जा सकता है, पर परास्त और खत्म नहीं किया जा (Hemant Soren In Chaibasa) सकता।
झारखंड में ग्रामसभा खत्म नहीं होने देंगे
हेमंत सोरेन ने कहा कि भारत सरकार ने वन क्षेत्र में इको सेंसेटिव जोन बनाकर ग्रामसभा को खत्म कर दिया है, पर ग्रामसभा को खत्म होने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए केंद्र को पत्र लिखा गया है।
सभा को मंत्री बादल पत्रलेख, जोबा मांझी, सत्यानंद भोक्ता, विधायक दीपक बिरूवा, निरल पूर्ति, दशरथ गगराई, झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के सदस्य भुवनेश्वर महतो ने भी संबोधित किया।
भाजपा ने राज्य बनने के बाद से अपने किसी भी आदिवासी मुख्यमंत्री को पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं करने दिया। 20 साल तक इस राज्य की गद्दी पर कब्जा कर शासन चलाया और राज्य को देश का सबसे पिछड़ा राज्य बना दिया।
आदिवासी मूलवासी को मिटाना और शोषण करना नियती बन गयी थी। अब अधिकारियों के एसी में बैठकर काम करने की पंरपरा खत्म हो गयी है। उन्हें जंगल, पहाड़, नदी के किनारे के गांवों में जाना होगा।
सोरेन ने कहा कि यहां के पैसों का भाजपा की पिछली सरकारों ने दुरुपयोग किया है। 24 हजार करोड़ रुपये सिर्फ प. सिंहभूम जिले में हैं, जो खदान क्षेत्र के हैं।
लेकिन, न तो जिले में खर्च हो रहे हैं और न ही राज्य में खर्च हो रहे हैं। ये पैसे बाहर जा रहे हैं, जिससे गुजरात और महाराष्ट्र की रोशनी जल रही है, जबकि यहां के घरों में अंधेरा है।