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heat Wave: दिल्ली में लू से हालात गंभीर 48 घंटे में मिले 50 शव, 9 दिन में 192 लोगों की मौत

Heat Wave: Situation critical in Delhi due to heat wave, 50 bodies found in 48 hours, 192 people died in 9 days

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-देश के विभिन्न हिस्सों के 50 बेघर लोगों के शव

नई दिल्ली। heat wave: देशभर में गर्मी का कहर देखने को मिल रहा है। पिछले 48 घंटों में भीषण गर्मी के कारण मरने वाले देश के विभिन्न हिस्सों के 50 बेघर लोगों के शव दिल्ली में पाए गए। क्या ये सभी मौतें गर्मी के कारण हैं या इन मौतों में अन्य कारकों का भी योगदान है? पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभी तक इसकी जानकारी नहीं दी है।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बुधवार को इंडिया गेट के पास बच्चों के पार्क में 55 वर्षीय एक व्यक्ति का शव मिला। मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा।

9 दिन में 192 लोगों की मौत

बेघर लोगों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ने दावा किया है कि 11 से 19 जून के बीच दिल्ली में अत्यधिक गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हो गई है। जैसे-जैसे चिलचिलाती धूप जारी है, लू से मरने वालों की संख्या और अस्पतालों में इससे पीडि़त मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

भीषण जल संकट (heat wave) से जूझ रही दिल्ली में अधिकतम तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य तापमान से चार डिग्री अधिक है। शहर में न्यूनतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस था, जो 1969 के बाद जून में सबसे अधिक था।

पिछले दो दिनों में राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 22 मरीज लाए गए। अस्पताल में पांच मौतें हो चुकी हैं और 12 से 13 मरीज जीवन रक्षक प्रणाली (heat wave) पर हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा’ इन लोगों को कोई अन्य बीमारी नहीं थी। ऐसे लोग जब अस्पताल पहुंचते हैं तो उनके शरीर का तापमान रिकॉर्ड किया जाता है और अगर यह 105 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर पाया जाता है और कोई अन्य कारण नहीं होता है, तो उन्हें हीट स्ट्रोक का मरीज घोषित कर दिया जाता है।

लू के कारण मरने वालों को लू का संदिग्ध मरीज घोषित कर दिया जाता है। दिल्ली सरकार की एक कमेटी होती है जो मौत की पुष्टि करती है। अस्पताल ने शरीर को तुरंत ठंडा करने के लिए ‘हीटस्ट्रोक यूनिट लगाई है। अधिकारियों ने कहा कि यूनिट में शीतलन तकनीक है और मरीजों को बर्फ और पानी से भरे बाथटब में रखा जाता है।

मरीजों की निगरानी तब की जाती है जब उनके शरीर का तापमान 102 डिग्री फ़ारेनहाइट से नीचे चला जाता है। अगर उनकी हालत स्थिर है तो उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। अन्यथा उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। भर्ती मरीजों में अधिकतर मजदूर हैं।

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